नई कहानी, मेरी जुबानी


नमस्कार !

आप सब कैसे हैं ? उम्मीद करता हूं कि आप ठीक ही होंगे ।

पुरे एक साल बाद दोबारा ब्लॉग लिखने की कोशिश कर रहा हूं और इस बार थोड़ी लंबी छलांग लगाने की सोची हैं । पिछले साल के लंबे अंतराल के बाद एक बड़ी कहानी लेकर वापस आया हूं ।
हमेशा लोगो की मुझसे शिकायत होती थी कि मैं सामान्य कहनियां नहीं लिखता जैसे कि हम आज कल के फिल्मों और टी. वी. कार्यकर्मों में देखते हैं ।

इस विषय पर काफी सोचने के बाद खयाल आया कि क्यों न एक आत्मकथा लिखी जाये, जो की बिलकुल आज के हमारे जिंदगी जैसा हो । जब आप ये कहानी पढ़ेंगे तो आपको महसूस होगा जैसा किसी सच्चे व्यक्ति की जीवन से आप रूबरू हो रहे हो ।

बदलते परिवेश में हमने सब चीजों को बदला है जैसे कि रिश्ते-नाते, परिवार सभी के मायने आजकल बदल से गए हैं तो एक लिखने वाले के तौर पर मेरे लिए जरूरी था, कि समाज को एक बेहतर छवि और मार्गदर्शन दिखाऊं । मैं कोई ज्ञानी तो नहीं लेकिन जितना भी जीवन में सीखा है उसे कुछ बेहतर तरीके से लिखने की कोशिश की है ।

फरवरी का महीना चल रहा है तो ऐसे में कहानी का झुकाव प्यार की ओर ही होगा । कहानी को वेलेंटाइन सप्ताह पे लाने का मतलब ही हैं कि कहीं न कहीं प्रमुख मुद्दा प्यार ही हैं। आजकल के समय मे प्यार- रिश्ते जैसे चीजें के मायने बदले है। ऐसे में ये कहानी आपको शायद सच्चे प्यार की अनुभूति जरुर देगा । हालांकि इस कहानी की तैयारी तो मैं पिछले 6 महीने से कर रहा था।

एक लेखक के लिए कहानी लिखना बहुत आसान होता है लेकिन उस किरदार में रंग भरना काफी मुश्किल होता है । कई महीने से यही सोचता रहा कि कहानी को किस ओर दिशा दूं लेकिन अब जब इसे वेलेंटाइन सप्ताह मे ला रहा हूं तो प्रदर्शित होने से पहले एक खटक सा है कि शायद यह कहानी अच्छी हैं या नहीं ?
अब तो यह कहानी कैसे लगी....ये आप ही बताएंगे !

आज का यह ब्लॉग केवल और केवल मेरी कहानी के बारे में छोटी सी लघु सूचना के तौर पर है, जो कल से प्रदर्शित होगी । कहानी के बारे में बात करूं तो यह कहानी हमारे जैसे ही, आज के जमाने के लड़के की है, जो जीवन में करियर और परिवार दोनों ढूंढ रहा है । ऐसे में उसे क्या मिलता है? इस पर हैं ये कहानी ।

हालांकि कहानी काफी सामान्य सी है, लेकिन उसके रास्ते टेढ़े मेढ़े से हैं और ये टेढ़े मेढ़े रास्ते अलग-अलग अंक यानी अलग-अलग पाठ में आपको देखने मिलेंगे । इस कहानी के जरिए पाठकों को यह संदेश देना चाहता हूं की जीवन में सब कुछ वैसा नहीं होता जैसा हम सोचते हैं । कुछ चीजें जीवन के अनुसार हमें बदलनी पड़ती है । जरूरी नहीं कि हर चीजें हमें तुरंत ही मिल जाए कुछ के लिए आपको जीवन भर इंतजार करना पड़ता है ।

मेरी 7 अंको की कहानी मैं सुधीर अपने स्ट्रगल के दिनों को बताता है कि कैसे उसने अपने जीवन की राह बनाई। कहानी में कई किरदार है जो आपको अलग अलग अनुभव देंगे, हो सकता है कहानी के कई भाग आपको अपनी वास्तविक जीवन से प्रेरित लगेंगे लेकिन सच कहूं तो यह सब एक संजोग ही होगा । फिर भी मैं ऐसा सोचता हूं कि शायद इतनी बड़ी दुनिया में कोई ना कोई सुधीर जैसा जरूर होगा ।

कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए मैंने इसमें हर हर पाठ को अलग तरीके से लिखने की कोशिश की हैं । किसी मैं आपको खुशी, किसी मे दुख तो किसी में आपको व्यंगात्मक जैसे अलग-अलग भाव देखने को मिलेंगे । कुछ पाठ बहुत हो सकता है कि आपको छोटा लगा लेकिन कुछ पाठ काफी बड़े हैं ठीक तौर पर तो नहीं बता सकता लेकिन तकरीबन-तकरीबन पूरी कहानी 10000 शब्दों की होने वाली है । शायद इसीलिए मेरे लिए कहना मुश्किल हुआ होगा कि कहानी के अंत तक आप इस पर कैसा निष्कर्ष निकालते हैं । खैर ये तो आप पर निर्भर करता है ।

अपनी उम्र के पाठकों को आकर्षित करने के लिए मैंने आज के जैसी कहानी लिखी हैं । हो सकता है कि आप में से कोई मेरे कहानी-लेखन से तथा ऐसी विचारधारा को अच्छा न मानता हो तो ऐसे में मैं क्षमा-प्रार्थी हूं । किसी की भी भावना को आहत करना मेरा विषय नहीं हैं। मेरा बस उद्देश्य है की हिंदी को बढ़ावा देना और अपनी कहानी की लिखावट को प्रदर्शित करना । फिर भी आप में से कोई मेरी कहानी से आहत होता है तो मुझे अपना छोटा दोस्त समझकर क्षमा करें ।

कहानी के सारे अंक आपको 8-14 फरवरी तक मिलेंगे, मेरी पूरी कोशिश होगी कि कहानी सुबह के समय ही आये । अगर आप कहानी के आने का समय जानना चाहते हैं तो मैं उसकी जानकारी अपने सोशल नेटवर्क्स पर रोज़ अपडेट करता रहूंगा ।

और अंत में बस इतना कहना चाहूंगा कि हम सब जानते हैं कि हम अपनी वास्तविक जीवन मे हम हिंदी से जुड़े कम ही चीजें देखते, सुनते या पढ़ते हैं । ऐसे मे मेरा हिंदी में लिखने का केवल एक ही उद्देश्य है कि हिंदी कि उपयोगिता बढ़ाना । कहानी को अच्छी या बुरी बताने के लिए आपको कहानी के अंत तक का इंतजार करना होगा , तो मेरी एक छोटी सी गुजारिश हैं कि जो भी अंक या पाठ आपको अच्छा लगे उसे Share या साझा जरुर करें ताकि और भी लोग मेरी हिंदी लेखन से रूबरू हो।

हालांकि कहानी मैंने लिखी हैं लेकिन अपनी कहानी खुद, मेरा किरदार सुधीर ही..... अपनी आप-बीती आपको बतायेगा ।

अगली आवाज सुधीर कि होगी.....





धन्यवाद!

प्रेम नारायण साहू

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