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❤️ साइकिल वाला प्यार ❤️

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उपरोक्त कहानी मे की गयी बातों का वास्तविकता से पूरा-पूरा संबंध हैं , ये कहानी किसी अन्य व्यक्ति से ली गयी हैं उसकी आत्मजीवनी के कुछ प लों को संकलित कर यहाँ कहानी मे प्रस्तुत किया गया हैं । कहानी को मनोरंजन की दृष्टि से थोड़ा घूमा-फिरा के पेश किया गया हैं , लेकिन कोशि श की गयी हैं की कहानी की वास्तविकता पूर्ण रूप से कायम रहे । यह कहानी उस व्यक्ति विशेष से अनुमति लेकर लि खी ग यी हैं । कहानी पूरी तरीके से ऐसा लिखा गया हैं मानो उस व्यक्ति ने स्वयं लिखी हों । इस कहानी मे शब्द मेरे हैं , लेकिन भावनाए किसी और की हैं । - लेखक (प्रेम नारायण साहू) ज़ि न्दगी में प्यार तो बहुत मिलता हैं, लेकिन आप उस प्यार की कितनी अहमियत देते हैं वो तो आप पर निर्भर करता हैं । मुझे आज भी याद हैं ,वो पुराने स्कूल के दिनों की बातें , जब मौज-मस्ती में दिन गुजर जाया कर जाते थे । मैं बहुत मस्त-मौला हुआ करता था, न कल की फिक्र होती थी न आज का डर । खेल-कूद , पढ़ाई , वाद-विवाद और बहुत सी चीजों मे , मैं बड़ा ही रुचि रखा करता था । स्कूल मे मेरी छवि एक पढ़ने वाले और मज़ाकिया किस्म की थी । लोगों को मे