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Showing posts from July, 2017

बड़ा पत्थर

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किसी समय मे एक मोहन नाम का व्यक्ति हुआ करता था , पेशे से वह एक मूर्तिकार था और हस्तकला मे निपुण था , उसका एक छोटा सा परिवार था जिसके साथ वह अपने गाँव में रहा करता था । मोहन का गाँव नदी के किनारे बसा हुआ था और मोहन का घर भी नदी के बिलकुल किनारे पर था । नदी से आई हुई नरम मिट्टी से मोहन मूर्तियाँ बनाया करता था , लोगों के मांग के अनुसार कभी-कभी वह पत्थरों से भी मूर्तियाँ बना लिया करता था । मोहन के साथ-साथ पूरे गाँव की आजीविका उस नदी पर निर्भर करती थी , कोई मछली पकड़ना तो , कोई नाव तो , कोई मोहन की तरह मूर्तियाँ बना कर गुज़र-बसर कर रहा था । मोहन अपने गाँव मे एक सुसज्जित व्यक्ति के रूप में था ,  न किसी से बैर था , न किसी से द्वेष । उसका गुज़र-बसर भी अच्छा चल रहा था मूर्तियाँ इतनी बारीकियों से बनाता की उसकी मूर्तियाँ चंद दिनों मे बिक जाती थी , उसका नाम भी दिन-ब-दिन विख्यात होने लगा था...  क्योंकि मोहन अपने काम के प्रति काफी लगनशील था , और इसके चलते ही उसे बहुत दूर-दूर से मूर्तियों के बनाने हेतु उसे निमंत्रण आते थे लेकिन मोहन की एक बड़ी समस्या थी जिस को लेकर वह हमेशा परेशान रह

रश्मि

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आज की कहानी की सूत्रधार रश्मि है .... रश्मि स्वाभाव से नटखट , शरारती और खु श मिजाज लड़की हैं .... पढ़ाई और खेल कूद के मैदा न , दोनों मे आगे रहती है .... रश्मि को उसका पूरा प्यार उसके अकेले होने के कारण ज्यादा मिला , उसकी हर ला ड़ को उसके पा पा ने सराहा है ... कभी - कभी माँ से अनबन हो जाती हैं लेकिन फिर भी पिता की लाडली है वो. . . . . . आज उसकी 24 वीं सालगिरह है , पिता ने बेटी की graduation पूरी होनी की खुशी में आस - पड़ोस और सगे-संबंधी  के साथ एक छोटा सा जलसा आयोजित किया हैं .... ढलती शाम मे लोग एकत्रित होने लगते हैं उर महफिल सजने लगती हैं । जैसा की आप जनाते है शाम भले अच्छी हो न हो लेकिन दो चार रिश्तेदातर उसमे अपनी बातों को तंज़ कस कर उसे किरकिरा जरूर कर देते हैं .... बधाई सन्देश तो बहुत मिले लेकिन दो - चार फोकट की ज्ञान की बाते भी रश्मि और उसके पिता को मिली ।  अधिकतर मेहमानो ने रश्मि की शादी की बात कही और जल्दी ब्यहाने को कहा । इस बीच मौसा जी ने रश्मि को दो सुनाते हुए कहा ज्यादा पढ़ा कर क्या करना है , आखिर घर ही तो संभालना हैं , मेरी नज़र में एक लड़का है बोल