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सपनों का सुख . . .

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दो टूक आपसे – सबसे पहले मैं क्षमाप्रार्थी हूँ की लंबे समय से कुछ विशेष लिख न पाया , समय का संजोग ऐसा हैं की मुश्किल हैं जरा सा वक्त निकालना । आज जब आप लंबे समय के बाद कुछ मेरा कुछ लिखा हुआ आप पढ़ रहे होंगे तो , आपके मन में जरूर कुछ बाते होंगी की , आज कुछ अलग आपको पढ़ने मिलेगा । लेकिन मैं यहाँ आपकी सोंच को जरा रोकना चाहता हूँ । मैं नहीं चाहता किसी प्रकार का उलझन जैसा पैदा हो । हो सकता हैं , आज की कहानी आपको थोड़ा ऋणात्मक प्रभाव दें लेकिन ये जरूरी हैं की जीवन के हर उस तथ्य से रूबरू हुआ जाये जो आपको भले सुनने या समझने में अच्छा न लगे , लेकिन उनकी सच्चाई और गहराई को जाना जाये । इससे पहले की कहानी शुरू हो – कुछ बातें और , जैसे की – 1.     ये  कहानी  पूरी तरह से काल्पनिक हैं , जिसका वास्तविकता से संबंध एक संजोग मात्र हैं । 2.      हो सकता हैं  कहानी  की बहुत सी बातें ,  आपको अच्छी न लगे लेकिन उनका वर्णन ,   कहानी  को पारदर्शी बनाने हेतु हैं किया गया हैं । 3.      कहानी  में कही गयी सारी बातें केवल कहानी तक के लिए सीमित हैं , उन्हे किसी भी प्रचार–प्रसार हेतु नही