मन की बात #1 - मेरी नानी
बहुत मुश्किल होता हैं अपने किसी करीबी के बारे मे लिखना , अक्सर हमारी ज़िंदगी मे कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनका हमें ज्यादा एहसास नहीं होता लेकिन जब वो हमारी ज़िंदगी से चले जाते हैं तब अलग सी कमी रह जाती हैं । मेरे लिए भी मुश्किल था अपने ज्याति ज़िंदगी के बारे लिखना , कहानियाँ तो हम सोंच कर , महसूस कर लिख लेते हैं , पर आपके अपने जस्बात लिखना कठिन होता हैं। पर वो तो कहते हैं न जब भाव मन मे प्रबल होते हैं तो उन्हे शब्द बनने मे ज्यादा समय नहीं लगता । मेरे बचपन से ही मेरी नानी और दादी बस थी , नाना और दादा को तो बचपन से ही नहीं देखा था । दादी के साथ तो कुछ साल रहे थे और जब वो गुजरी तब मैं छोटा था , शायद महसूस तो उस वक़्त भी हुआ होगा लेकिन व्यक्त नहीं हो पाया होगा । नानी की याद मेरे मन मे तब से हैं जब मामा के कच्चे घर हुआ करते थे , सब कुछ मन मे एकदम वैसे ही हैं जैसा उस वक़्त हुआ करते थे । वही कच्ची गलियाँ , लकड़ी के दरवाजे , मामा की छोटी सी दुकान , किनारे पे रखे पैरावट । फर्क बस आज इतना हैं की आज वो सब यादें मन मे हैं । जब-जब मैं नानी शब्द लिखता हूँ , मेरे मन में नानी का वही मुस