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Showing posts from September, 2017

हिन्दी दिवस विशेष

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नमस्कार ! दोस्तों आज 14 सितंबर , हिन्दी दिवस के दिन कुछ बातें आपके समक्ष कहना चाहूँगा । हिन्दी न सिर्फ एक भाषा हैं बल्कि ये एक संस्कृति हैं , धरोहर हैं हम भारतीयो के लिए । आज कहने को तो हिन्दी विश्व की चौथी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा हैं लेकिन , आज कहीं न कहीं मैंने महसूस किए हैं की हिन्दी का वर्चस्व उतना नहीं रह गया है , जितना की पहले था । और दुख का कारण यह हैं की इसका प्रमुख कारण हम ही हैं.... आजकल की ये नये-युग , हमे हिन्दी से उस तरीके से दूर कर रहे हैं जैसे की बचपन मे छूटते वो पुरानी किताबें , दिन ब दिन हिन्दी के गिरते हालत सोचने को मजबूर कर देते हैं , कुछ दिनों पहले मैंने सुना था की कुछ स्कूलों मे तो उन्होने हिन्दी भाषा पड़ाना ही बंद कर दिया.... सुन कर बहुत दुख हुआ । बुरा इस बात मे नहीं की किसी एक भाषा की प्रबल दावेदारी मे , बुरा इस बात मे हैं की अपनी मातृभाषा का खो जाने का .... खैर आज के दिवस पर मेरी आपसे एक विनम्र निवेदन हैं की आज के पूरे दिन आप जहां पर भी हो सके हिन्दी भाषा का प्रयोग करें , वैसे तो ये हमे रोज करनी चाहिए लेकिन आज का महत्व कुछ और रंग दे

निरुमा का घर

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कहानी के सूत्रधार - मिस्टर चैटर्जी - पेशे से एक व्यवसायी हैं , लेकिन अपनी आजीविका के लिए एक सरकारी आफिस मे नियुक्त हैं , अच्छे पद पर नियुकती के कारण सरकारी बंगला मिला , जिसमे वे अपनी पत्नी के साथ निवास करते थे । मिसेस चैटर्जी - मिस्टर चैटर्जी की पत्नी , वो स्कूल मे अध्यापिका हैं । मेड (निरुमा) ( मिसेस चैटर्जी के घर पर काम करने वाली ) - मेड भी मिसेस चैटर्जी के घर मे रहती हैं , उनके लिए अलग से कमरे हैं , जो की मुख्य घर से ही सटा हैं प्राय : Servants Quarter के रूप मे ... जिसमे वे रहते हैं । नरेश - मेड (निरुमा) के पति हैं जिनके साथ वो मिसेस चैटर्जी के घर मे रहता हैं , परंतु मेड के रूप मे केवल निरुमा ही काम करती हैं नरेश अपना घर चलाने के लिए पास के ही कारखाने मे काम करते हैं ।                   नरेश और निरुमा का एक बच्चा भी हैं । शाम का समय दरवाजे के डोरबेल की आवाज़ - टिलिंग-टाउन...!!!... टिलिंग-टाउन...!!!...टिलिंग-टाउन...!!! कुछ समय  पश्चात्  दरवाजा खुलता हैं , मिसेस चैटर्जी की मेड ने दरवाजा खोला और कहा क्या काम हैं ,   इससे पहले मैं क