निरुमा का घर


कहानी के सूत्रधार -

मिस्टर चैटर्जी - पेशे से एक व्यवसायी हैं, लेकिन अपनी आजीविका के लिए एक सरकारी आफिस मे नियुक्त हैं, अच्छे पद पर नियुकती के कारण सरकारी बंगला मिला, जिसमे वे अपनी पत्नी के साथ निवास करते थे ।

मिसेस चैटर्जी - मिस्टर चैटर्जी की पत्नी, वो स्कूल मे अध्यापिका हैं ।

मेड (निरुमा) ( मिसेस चैटर्जी के घर पर काम करने वाली ) - मेड भी मिसेस चैटर्जी के घर मे रहती हैं, उनके लिए अलग से कमरे हैं, जो की मुख्य घर से ही सटा हैं प्राय: Servants Quarter के रूप मे ... जिसमे वे रहते हैं ।

नरेश - मेड (निरुमा) के पति हैं जिनके साथ वो मिसेस चैटर्जी के घर मे रहता हैं, परंतु मेड के रूप मे केवल निरुमा ही काम करती हैं नरेश अपना घर चलाने के लिए पास के ही कारखाने मे काम करते हैं ।

                  नरेश और निरुमा का एक बच्चा भी हैं ।



शाम का समय
दरवाजे के डोरबेल की आवाज़ - टिलिंग-टाउन...!!!... टिलिंग-टाउन...!!!...टिलिंग-टाउन...!!!

कुछ समय पश्चात् दरवाजा खुलता हैं , मिसेस चैटर्जी की मेड ने दरवाजा खोला और कहा क्या काम हैं,  इससे पहले मैं कुछ कह पता, मिसेस चैटर्जी आयी और कहा , इन्हे आने दो कहकर वो निकल गयी । मुझे सोफ़े पर बैठने को कहा गया, कुछ समय पश्चात मेड के द्वारा मुझे पानी लाकर दिया गया ।

मुझे आज पहली बार अपने काम के सिलसिले की वजह से मिसेस चैटर्जी के घर आना पड़ा नही तो ज़्यादातर काम स्कूल मे ही निपटा दिया करती थी । लेकिन आज कुछ कागज मिसेस चैटर्जी के पास रह गए थे जिन्हे मैं लेने आया हूँ ।
मिसेस चैटर्जी ने मुझे अपने डायनिंग रूम मे बुला कर बैठाया, वहाँ से सारे कमरों पर स्पष्टतया देखा जा सकता था , मिस्टर चैटर्जी अपने बेडरूम मे बैठकर टीवी का आनंद ले रहे थे, और मिसेस चैटर्जी अपने काम मे व्यस्त थी, बीच-बीच मे वो मेड को बुलाती रहती थी ।

तभी मुझे उनके मेड द्वारा चाय या कॉफी के लिए पूछा गया । मेरे उत्तर देने से पहले ही मिसेस चैटर्जी ने निरुमा से कहा- बाहर बारिश हो रही हैं चाय ही बना दो...

इसी बीच मिस्टर चैटर्जी ने भी अपनी फरमाइश रखी -  "अरे निरुमा जरा अदरक वाली चाय मेरे लिय भी लेते आना", अच्छे से बनाना कहकर उसे कहा ….. "जी साहब" कहकर उनकी मेड किचन की और बढ़ी ।
अभी शायद चाय की पानी भी ढंग से खौली नहीं होगी, और मिस्टर चैटर्जी के तीखे भरे शब्द आ गये कहा - "अरे जल्दी बना न"..... मेड ने शांत भाव से कहा "हाँ"…..

तभी इसी बीच मेरे से लाये गये कागजों को खोजने के लिए मिसेस चैटर्जी एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाती हैं। घर की सारी व्यवस्थता को चंद सेकोंडो मे हीं मिसेस चैटर्जी ने तबाह कर दिया । वो उस कागज को ढूंढने का प्रयास करती बीच-बीच मे अपनी मेड को आवाज़ देती की तुमने देखा है क्या निरुमा कह कर .....

तभी पों पों करती एक बस घर के दरवाजे पर आकर रुकती हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा था की मिसेज चैटर्जी की तो बच्चे बाहर रहते हैं तो फिर ये कोन हैं लेकिन निरुमा(मेड) की दौड़ देखकर पता चल गया की ये निरुमा के बच्चे हैं , एक छाता लेकर निरुमा बस की और जाती हैं दरवाजे से सड़क पर खड़ी बस की दूरी महज 10 मिटर भी न रही हो लेकिन मूसलाधार बारिश ने निरुमा को भीगा दिया । बच्चे को पकड़ कर वह अपने कमरे मे जाती हैं,  तभी अचानक चाय का सोच दोबारा दौड़ कर आती हैं इसी बीच मे निरुमा के पति भी अपने काम से लौटेते हैं , तभी बच्चा आवाज़ देता हैं, बच्चे की आवाज़ पाकर वह फटाफट चाय देकर वापस अपने कमरे की तरफ लपकती हैं, उसे गये हुए कुछ मिनट ही होते हैं की इधर से आवाज़ आ जाती हैं, इस बार मिस्टर चैटर्जी आवाज़ देते हैं उसे चाय को बेकार कहकर उसे दो-चार सुना पड़ते हैं... पर मेरे अंदाजे से चाय सही बनी थी ।

तब ही मिसेस चैटर्जी कागज़ लेकर आती हैं और डायनिंग टेबल के दूसरे कुर्सी पर आकार बैठती हैं और साइन करने लगती हैं तभी तीखी आवाज़ मे मिस्टर चैटर्जी , निरुमा के पति को आवाज़ देते हैं.....

"अरे नरेश जा तो गाड़ी मे पेट्रोल भरा दे" .... निरुमा के पति झुंझुलाते हैं... तभी निरुमा अपने कमरे की तरफ बढ़ती हैं, शायद वह अपने पति को मनाने जाती हैं, उनके बीच की कहा-सुनी मेरे और मिसेस चैटर्जी तक साफ सुनाई पड़ती हैं, पर वह कुछ नहीं कहती हैं । इसी बीच दोबारा मिस्टर चैटर्जी कहते हैं "अरे सुनाई नहीं दिया क्या.....जल्दी जा न हमे बाहर जाना हैं" ।

शायद निरुमा के पति की झुंझलाहट वाजीब हैं, दिन-भर की थकान के बाद उन्हे काम करने को कहना शायद सहीं नहीं हैं क्योंकि निरुमा घर का काम करती हैं न की उसके पति, लेकिन फिर भी घर के छोटे मोटे काम अक्सर नरेश से कराये जाते हैं। फिर भी वो कार लेकर निकल जाता हैं शायद निरुमा के कहने पर । इन सब मे मुझे भी समझ आ गया था की इतनी भागम-भाग का कारण क्या हैं । मिसेस चैटर्जी और उनके पति को कहीं जाना था जिसके कारण यों अफरा तफरी मची हुई थी ।

मेरे कागजों के वापस मिलने के बाद मैं वहाँ से चला जाता हूँ... इन चंद आधे घंटो की मुलाक़ात में मुझे मिसेस चैटर्जी के घर के हर सदस्यों की व्यक्तित्व की पहचान करा दी....

मुझे घर के सभी पात्रों मे से निरुमा का पात्र सबसे अच्छा लगा, एक मेड के होते हुए भी उसने पूरे घर को बांध रखा हैं....अपने परिवार के साथ-साथ वह मिसेस चैटर्जी के परिवार को भी भली भांति संभालती हैं.....
मिस्टर चैटर्जी के तीखे तंजों को भी वह समान्यत: ही लती हैं, दोनों घरों मे सहीं संबंध बना कर रखती हैं और कहीं न कहीं वह अपने मेड के व्यक्तितव से ज्यादा किरदार अदा करती हैं । घर की तरह काम करना और रहना , सभी तरीके से वो अपना अच्छा देने का प्रयास करती हैं । वहीं दूसरी तरफ मिस्टर चैटर्जी शायद निरुमा के परिवार को मेड के नज़र से ही देखते हैं । उसके अथक प्रयासों को भी वह नज़र-अंदाज़ करते हैं, उसके पति को बार बार काम करने के लिए कहते हैं, जबकि नरेश किसी भी तरह से बंधित नहीं हैं, घर के कामो को करने के लिए ... नरेश के थके होने के बावजूद भी उसे काम के लिए कहते हैं ।

जबकि इन सब के बावजूद निरुमा अपने पति को ही कहती हैं, उसका किरदार ही कुछ ऐसा हैं की वह सब को जोड़े रखने का प्रयास करती हैं ।

हमारे भी आस-पास ऐसे ही बहुत लोग होते हैं जो परिवारों को, हमारे रिश्तों के एक ही धागे मे पिरोने की कोशिश मे लगे रहते हैं, कोशिश कीजिये की आप ऐसे लोगों क सम्मान करें और उनकी उपयोगिता को समझे ।



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प्रेम नारायण साहू

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