विपदा
काल 🌏
विपदा की इस घड़ी में, हम मौन बनकर असहाय है !
काल की इस गिरफ्त में, हम बेबस से लाचार हैं !
मजबूर हैं, नजरबंद होने को अपने प्रांगणो में,
क्योंकि अदृश्य मेहमान बाहर तैयार हैं ।
अपने और अपनों के लिए,
सुरक्षित तो अभी वो चार दीवार हैं ।
जिनके परिवार में हैं आई हैं विपत्ति,
उसे दुनिया की कहां कोई बात याद हैं ।
उसका कोई अपना बच जाए,
इससे ज्यादा उसकी न कोई आस हैं ।
दौर 🤕
ये दौर ही हैं कुछ खराब सा,
बजती हर टेलीफोन की घंटी से अब मन बेहाल हैं ।
कही, कोई न हो दुखद ख़बर,
अब किसी और को खोने को न मन तैयार हैं ।
कभी लगता, क्या गलती हो गई
उस परमात्मा से हमारी,
धर्म-संप्रदाय, आस्था सी भरी मिट्टी में
न जाने क्यों आज लाशों की कतार हैं ।
रुक नहीं रहे, वो मृत्यु के आंकड़े
थम नहीं रहे, वो अस्पतालों की कतारें
.
ऐसा दृश्यों से तो मन भी हताश हैं,
अब तो आतम(आत्मा) भी खुद से हैरान हैं
न जाने कैसे अब तक हिम्मत बरकार हैं ।
जरूरत 😢
सांसों की ज़रूरत सिलेंडरो में समा गई,
रोटी, कपड़ा, मकान से ज्यादा हवा मूलवान हो गई ।
चंद दवाई की बोतलें जीवन-दायनी बन गई,
वो सफेद लिबास इंसान, भगवान का रूप बन गई ।
जिंदगी भर की कमाई भी काम न आई,
जब जरूरत की कीमत भी, मौका देकर लगाई गई ।
इससे तो इंसानियत भी शर्मशार हैं,
शायद इसलिए ऊपर वाला भी हमसे नाराज़ है ।
असहाय 😓
जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली,
बढ़ते प्रभाव में व्यवस्थाओं की बली चढ़ गई,
प्रबंधन भी मौन बनकर शांत हैं,
मरीज, परिजन बेबस और लाचार हैं,
अब सच तो यही है कि, जिंदगी किस्मत के हाथो मजबूर है ।
इस विपदा में, अमीर-गरीब सब का बुरा हाल हैं,
कोई महामारी से तो कोई भूख मरने को तैयार है ।
आसान हैं कहना, सब कुछ ठीक होगा !
सच तो वहीं हैं जान पाया, जिनके अपनों पे बात आई हैं ।
परोपकारी 🌼
कुछ डटे हैं फिर भी मुश्तैदी से,
जिम्मेदारी तो उनकी भी हैं, लेकिन लगे हैं कर्तव्य अपना समझ के
कोई रोटी के लिए, तो कोई जिंदगी बचाने के लिए,
हर घर में ऐसे वीर, दृढ़ता से तैयार हैं ।
इस मुसीबत में भी कुछ जरूरत के हाथ है,
उनके वजह से ही अभी तक ये दुनिया मेहरबान हैं ।
बेशक रंग अलग-अलग से हैं इनके पोशाक के,
सफेद, खाकी और सद्भाव ही इनकी पहचान हैं ।
आपदा 😷
आपदा की इस त्रासदी में,
हम रह जायेंगे हम कुछ आधे अधूरे से ।
साक्षी होंगे इस भयंकर महामरी के,
रह जाएगी तो बस दुख, याद और तकलीफ़ ।
उम्मीद 🌱
उम्मीदों का दिया रोज जलाकर सोते हैं !
आज की जिंदगी का धन्यवाद, हम रोज करते हैं !!
बेशक आज असहाय सी हैं जिंदगी
लेकिन एक बेहतर कल की आस में हम रोज़ जीते है ।
आएगा एक दिन ऐसा भी,
सुबह होगी भयमुक्त, रातें मनमौजी होगी
होगा न डर किसी बीमारी का, दूरियां कम होंगी
जिंदगी फिर से पहले की तरह खुशहाल होगी ।
उम्मीद पे दुनिया कायम हैं 😌
स्वस्थ रहिए, खुश रहिए ।
अपनों का ख्याल रखिए ।
मास्क का प्रयोग करें
अपनी बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवाए ।
धन्यवाद 🤍
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