रश्मि
आज की कहानी की सूत्रधार रश्मि है.... रश्मि स्वाभाव से नटखट, शरारती और खुश मिजाज लड़की हैं ....पढ़ाई और खेल
कूद के मैदान, दोनों मे आगे रहती है....रश्मि को उसका पूरा प्यार उसके अकेले होने के कारण ज्यादा
मिला, उसकी हर लाड़ को उसके पापा ने सराहा है...कभी-कभी माँ से अनबन हो जाती हैं लेकिन फिर भी पिता की लाडली
है वो. . . . . .
आज उसकी 24वीं सालगिरह है, पिता ने
बेटी की graduation पूरी होनी की खुशी में आस-पड़ोस और
सगे-संबंधी के साथ एक छोटा सा जलसा आयोजित
किया हैं....ढलती शाम मे लोग एकत्रित होने लगते हैं उर
महफिल सजने लगती हैं ।
जैसा की आप जनाते है शाम भले अच्छी हो न हो लेकिन दो चार रिश्तेदातर उसमे अपनी बातों को
तंज़ कस कर उसे किरकिरा जरूर कर देते हैं....बधाई सन्देश तो बहुत मिले लेकिन दो-चार फोकट की ज्ञान की
बाते भी रश्मि और उसके पिता
को मिली ।
अधिकतर मेहमानो
ने रश्मि की शादी की बात कही और जल्दी ब्यहाने को कहा । इस बीच मौसा जी ने रश्मि
को दो सुनाते हुए कहा ज्यादा पढ़ा कर क्या करना है, आखिर घर ही तो संभालना हैं , मेरी नज़र
में एक लड़का है बोले तो दिखा दे- सरकारी नौकरी भी हैं और गाड़ी मे BMW भी. . . . .कहकर एक तंज़ कसा. . . . .
रश्मि के पिता उसकी
शादी से ज्यादा उसे आगे बढ़ने पे ज़ोर देना चाहते थे, लेकिन रिशतेदारों की जिद मे ज्यादा कुछ कह नही पा रहे थे, रश्मि के पिता की अधूरी सी सहसी-चुप्पी
को मौसा जी ने हां समझ अगर अगले रविवार को लड़के के परिवार से मुलाकात भी फिक्स कर
दी ।
पारिवारिक दबाव में रश्मि के पिता ने
लड़के वालों से मिलना तय कर लिया साथ ही रश्मि को भी एक दफा लड़के से मिलने के लिए
मना लिया गया हालाँकि रश्मि को यह राजी नहीं था पर भी वह राजी हो गयी केवल देखने
मात्र के लिए।
रविवार का दिन आया, समोसे पूरी और कचौरी
बना दी गयी ।
ठीक 11 बजे bmw की चमक में लड़के और उसके
पिता ने घर में एंट्री ली, मौसा जी उनकी अगुवाई कर रहे थे आइये-आइये कह कर......बातचीतों के घमासान में
बातें कम और मुआ मिठू ज्यादा हुए जा रहे थे लड़के के पिता....
अपने बेटे
की तारीफ़ों के पुल बांधे जा रहे थे, अपनी कोठियाँ और गाड़ियो
की आकार से शायद रश्मि के पिता के सामने अच्छी छाप छोड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन रश्मि के पिता की बेबसी साफ
नज़र आ रही थी, वे रश्मि को अच्छी जगह पर उच्च शिक्षा देकर पढ़ाना चाहते थे । लेकिन बेबसी और रिश्तों
के प्रभाव
मे आज रश्मि के रिश्ते की बात कर रहे थे। भले ही रश्मि के पिता दबाव मे रहे
हों लेकिन रश्मि नहीं थी किसी आग बबूला शेरनी की तरह वो तैयार हो रही थी और बाहर
चल रही वार्तालापों पर पीछे से reaction दे रही थी ।
इन सब के
बीच मे रश्मि कचौड़ी और समोसे के प्लेट लेकर साड़ी मे निकलती हैं माँ उसे
पीछे से पाव छुने को कहती हैं . . .
बातचीतों का
सिलसला शुरू होता हैं और रश्मि से कुछ रैपिड-फास्ट सवाल पूछे जाते हैं....
लड़के के पिता ने पूछा- तो बेटा
आपको खाना बनाना आता हैं ना......... वो क्या हैं की मेरे बेटे को राजमा
चावल बड़ा पसंद आता हैं कहकर मुस्कुरा पड़ते हैं इसी बीच रश्मि की माँ तपाक
से कह पड़ती
हैं इसे आता हैं ना....
लड़के के
पिता ने पूछा-
आपके पिता
आपकी पड़ाई के बारे मे कुछ कह रहे थे आप पड़ना चाहते हो की नहीं
रश्मि के कुछ
कहने से पहले अगला सवाल आ जाता हैं- एक के बाद एक अजीब गरीब सवाल रश्मि से पूछे जा रहे थे कभी नाचने-गाने को लेकर कभी घूमने-
फिरने और
कभी कुछ और, रश्मि जवाब तो देना चाहती थी लेकिन मौका ही नही
दिया जा रहा था कभी लड़के के पिता तो कभी मौसा जी रश्मि
की बातों को
आधे बीच मे ही काट दिया करते थे ।
.
.
रश्मि एक कड़क स्वभाव कि लड़की हैं लेकिन आज दबी सी झूठी मुस्कान लेकर अपनी माँ के कहना
मान रही हैं, और अंतत: लड़के के पिता ने अपने जटिल सवालों को
विराम देते हुए कहा-बेटा तुम कुछ कहना पूछना चाहो तो पुछो ! !
और जैसे ही रस्मी
को मौका मिला वो बिलकुल गीता कुमारी फोगाट की तरह जैसे उन्होने
दंगल फिल्म मे अपने आखिरी दांव पर पाँच पॉइंट का दाव खेल खेलकर
मैच को जीता था उसी प्रकार रश्मि ने भी कुह शब्दों मे अपनी बात रख दी ।
रश्मि ने कहा- Uncle ji, ना तो मुझे
राजमा चावल बनाने आता हैं, न ही और कुछ, मेरी
रुचि तो पढ़ने मे हैं मैं अपना पापा के लिए कुछ अच्छा करना चाहती हूँ मैं स्टेट
लेवेल से बास्केट बाल खेलना चाहती हूँ,
और रही बात शादी की तो मुझे पैसे से ज्यादा मेरे साथ देने वाला पति चाहिए, अगर
आपका बेटा मुझे मेरी independence, अपने
मन के खाने की, अपने मन की करने की, रोज
रात तक बास्केट-बाल खेलने
की , अपनी बात रखने की, अपने मन
से कपड़े पहनने की और मेरी इच्छाओं को पूरा करने की INDEPENDENCE दे सकता
हैं , तो मैं इस रिश्ते के लिए तैयार हूँ .... क्या आप
मुझे इन सब की अनुमति दे सकते हैं....
थोड़े से
हकके बकके लड़के की पिता ने दबी से मुस्कान दी . . . .
रश्मि के
पिता अपनी बेटी की बात सुनकर गौरवान्वित हो रहे थे, और वो
समझ जगये थे की रश्मि अपने सुनहरे भविष्य का निर्माण खुद कर सकती है, समाज
से लड़ सकती हैं भले वो खुद रिश्ते के और लोगो के प्रभाव मे हो लेकिन रश्मि नहीं हैं
अपने हक के लिये लड़ सकती हैं।
रश्मि की
शादी टाल दी जाती हैं,
लड़के के पिता दोबारा रश्मि के घर नहीं आते हैं ।
रस्मी की कहानी यहाँ खत्म होती हैं, लेकिन ये सोचने
का विषय हैं ये कोई नयी बात नहीं हैं ।
ये शायद आपने अपने आस- पास होते जरूर देखा होगा, बहुत कम ही लड़कियाँ हैं जो शादी के बाद अपने नौकरी, अपने काम और खेल को जारी रख पाती हैं ।
ये शायद आपने अपने आस- पास होते जरूर देखा होगा, बहुत कम ही लड़कियाँ हैं जो शादी के बाद अपने नौकरी, अपने काम और खेल को जारी रख पाती हैं ।
आखिर क्यू
हमारा समाज ऐसा हैं और शायद ऐसे खोखले समाज का कारण हम ही हैं... जो
कहता तो आपने आप को modern हैं लेकिन आज भी पुरनी रीति-रिवाजो की
बात करता हैं... कही न कही हम इसके लिए खुद जिम्मेदार हैं ।
ऐसा नहीं हैं की की हम ये सब जानते नहीं हैं, हमे सब
पता होता हैं लेकिन हम अपने आस-पास को ज्यादा बदल नहीं पाते हैं और सबसे दुखद बात तो
ये हैं की बहुत से लोग आज भी ऐसी विचारधारा को मानते
या रखते हैं, उधाहरणार्थ -एक लड़का अपनी girlfriend के रूप मे जीन्स टॉप वाली लड़की चाहता हैं लेकिन शादी के
लिए उसे साड़ी सी लिप्त लड़की पसंद आती है ।
हो सकता
हैं मेरी बाते थोड़ी कड़वी जरूर होंगी लेकिन सच को उजागर करती हैं ।
अगर आप मेरे विचारों से सहमत हो तों कोशिश करे कि ऐसे दोगलेपन से बाहर ही
रहे और कोशिश करे की थोड़ा ही सही अपने आस-पास को बदलें ।
और अगली बार अपना रिश्ते के बारे मे सोचे तो कुंडलि के जगह अपनी कुशलता मापे और पैसे-रुतबे के जगह व्यवहार मिलाये ।
और अगली बार अपना रिश्ते के बारे मे सोचे तो कुंडलि के जगह अपनी कुशलता मापे और पैसे-रुतबे के जगह व्यवहार मिलाये ।
अगर ब्लॉग
का विषय अच्छा लगे तो शेयर करे ।
आपका 1 शेयर हो सकता हैं की एक
विचारधारा को बदलने मे मददगार साबित हों ! ! !
और आप
क्या सोचते हैं रश्मि के बारे मे कमेंट मे जरूर बताएं क्या उसने
सही किया की नहीं ???
ब्लॉग पड़ने
के लिए धन्यवाद !
Comments
Post a Comment