हमारे रिश्तें- ( Our Relationship )

ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन!

आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन!

मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन!

बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन!

दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन!

न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन!

डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन!

एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन!

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन!

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें..
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन !!

कविता श्रेय- तरुण कुमार सोनी
https://tarunkumarsoni.blogspot.in/



Relationship- रिश्ते


प्रिय पाठक !

नमस्कार,


हम रिश्तों के बारे मे जितना कहें उतना कम हैं...ये रिश्ते ही तो हैं, जो हमें जोड़ कर रखते हैं.....कुछ रिश्ते जन्म से ही मिलते हैं, कुछ हमे वक़्त के साथ बनाने पड़ते हैं पर सभी रिश्तों का हमारी ज़िंदगी मे  एक अलग स्थान हैं, मैं तो समझता हूँ की रिश्ते जैसे भी हैं अगर आपके पास हैं तो आप इस दुनिया मे सब से खुशनसीब हैं....वैसे तो रिश्तों के उपर तो बहुत कुछ कहा जा सकता हैं शायद कहने को तो पूरी ज़िंदगी भी कम हैं इन रिश्तों को समझने के लिए....

लोग अक्सर रिश्तों को निभाने की बात करते हैं की लेकिन मैं समझता हूँ की अगर रिश्ते मे सच्चाई होगी तो उन्हें कभी निभाने की जरूरत नहीं होगी । हम अपनी ज़िंदगी मे बहुत से लोगों से मिलते हैं और उनके आधे लोगो को ही हम मुश्किल से ही याद रख पाते हैं या जान पाते हैं और उनमे से भी केवल कुछ चंद लोगो से हीं अपना रिश्ता कायम कर पाते हैं...

वैसे तो हर बात के दो पहलू होते हैं उसी तरह रिश्तों के भी....एक बुरा और अच्छा....और कही ना कही मैं समझता हूँ की रिश्तों के बारे मे बहुत सी बाते कहते है परंतु मैं समझता हूँ की इन सब बातों मे एक बात हैं, जो रिश्तों की कलह का कारण बनती हैं, वह हैं “ रिश्तों की कमजोरियाँ जो की रिश्तों का सही से ना समझना होता हैं । हम अक्सर रिश्तों को समझने मे गलती करते हैं और यही इनकी कलह का कारण बनती हैं ।

हालांकि मुझे अपनी ज़िंदगी का इतना तजुरबा तो नहीं लेकिन मुझे लगता हैं रिश्तों मे परिपक्वता प्यार, और भावनाओं से आती हैं, और अगर आप अपने रिश्तों को सही से चलाना चाहते हैं या  उन्हे बिखरने से बचाना चाहते हैं तो उनके लिए केवल दो ही मुख्य चींजे हैं वह हैं  विश्वास (FAITH) और ईमानदारी (LOYALITY)

मैं समझता हूँ की अगर ये दो शब्द आपके रिश्तों मे हैं तो किसी तीसरे की आवश्यकता नहीं हैं, हमे अक्सर ऐसा लगता हैं की हम रिश्ते मे सच्चाई ना बरत कर उन्हे बचा सकते हैं लेकिन ऐसा करने से वह शायद थोड़े समय के लिए ही संभव हो पाये ।

हालांकि शायद यह सुनने में यह आसान सा लगे लेकिन इन्हे करना उतना ही मुश्किल सा होता हैं । मैं इन चीजों को शायद उतने संक्षेप पे ना समझा पाऊँ क्योकि इसके लिए ना मेरे पास कोई कहानी हैं ना कोई तथ्य हैं...आप इन्हें तभी समझ पाएंगे जब आप इन्हें अपने जीवन मे देखेंगे ।

पर शायद इतना कठिन भी नहीं................................. अंत मे बस इतना ही कहना चाहूँगा की बस अपने रिश्तों को खुशनुमा रखिए, रिश्तों मे प्यार है तभी रिश्ते हैं...हर रिश्ता कुछ खास सा हैं हमारी ज़िंदगी मे ...ये हैं तो हम हैं ।   

उम्मीद करता हूँ की आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा... हो सकता हैं की सभी मेरे विचार आपसे मेल ना खाते हो लेकिन फिर भी मेरी किसी भी बातों का आपको बुरा लगे तो मुझे क्षमा करें ।

अगर मेरा यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा तो शेयर करना ना भूलें ।



आप मुझसे facebook पर भी जुड़ सकते हैं 
@zindagiunplugged24 ( इस नाम से सर्च करे )
https://www.facebook.com/ZindagiUnplugged24/


धन्यवाद !


Comments

Popular posts from this blog

लगता हैं ❤️

विपदा

मन की बात #5 – The Kashmir Files फिल्म