Lock down डायरी - Part 1 (19 मार्च - 14 अप्रैल)


19 मार्च -
19 मार्च रात 8 बजे, हमारे प्रधानमंत्री टी.वी पर आये और कोरोना वायरस से निपटने के लिए 1 दिन के जनता कर्फ्यू की बात कही और पूरे देशवाशियों से ये आग्रह किया की वो सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक अपने अपने घर में ही रहे ...पहली बार देश में ऐसा कुछ होने जा रहा था । ये सब कुछ थोड़ा अचंभित कर लेने वाला था । सब कुछ सोचने जैसा था की क्या होगा, कैसे होगा , अभी तक हम में से बहुत कुछ इस वायरस को उतनी गंभीरता से नही ले रहे थे । लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण के बाद सबके मन में एक डर सा आने लगा है।

उसी ही सुबह हमारे प्रदेश का पहला कोरोना पॉजिटिव केस हमें पता चला , शहर में जैसे हड़कंप ही मच गया हों आसपास की सभी राशन दुकानों पर अचानक से भीड़ होनी शुरू हो गई । व्हाट्सएप पर फैले प्रचार में यह भी पता चला कि हमारी प्रदेश की राजधानी में 144 धारा लागू कर दी गई है इसका मतलब है कर्फ्यू । उसका असर हमारे जिले तक भी रहा, शाम होते तक हमारे यहां की भी सारी दुकानें बंद होने लगी ।
हम उसी ही शाम को एक दोस्त के बर्थडे पार्टी के लिए कुछ समान खरीदने जाने वाले थे, लेकिन जा नहीं सके । दुकानों को बंद होता हुआ देख स्थिति का अंदाज़ा होने लगा, घर पर बैठे बैठे और समाचारों को सुनकर उतना एहसास नहीं हो पा रहा था लेकिन जब अगले दिन में होने वाले हमारे दोस्त की पार्टी कैंसल हुई तब लगने लगा था कुछ बड़ा हो गया है । सब दोस्त यारों के घर पर उनके परिवार वाले नहीं चाहते थे कि कोई घर से बाहर भी निकलें ।

20 मार्च
हमने अपने दोस्त को अपने-अपने घरों से ही फोन पर बधाइयां संदेश देने लगे, उम्मीद सबको थी आने वाले हफ्ते तक सब ठीक हो जायेगा। हम अगले उनके लिए कुछ स्पेशल कर लेंगे ।
अब हर वॉट्सएप ग्रुप, हर फोन कॉल पर कोरोना की बातें होने लगी, हर जगह सब इसी की बात करते थे, लोगों में भय भी था और आत्मविश्वास भी, क्यूंकि कॉरोना के ज्यादा तर मामले विदेशों से आए हुए लोगो में दिख रहे थे ।

21 मार्च
अब कल के होने वाले जनता कर्फ्यू का असर दिखने लगा था । समाचार के बुलेटिनों पर कल की कौन कौन सी सुविधाओं के बाधित होने की सूचना दी जा रही थी । लोगो में भी ग़ज़ब का आत्मविश्वास था सबने जनता कर्फ्यू को बड़ी एहमियत दी । हर कोई वॉट्सएप पे, फेसबुक पे जनता कर्फ्यू को सफल करने की बात कह रहे थे ।
शाम को खबर आई कि शनिवार के रात 12 बजे से रविवार के पूरे दिन में कोई भी ट्रेन नहीं चलेगी । तब देश में सरकार के कोरोना के प्रति युद्ध स्तर वाली योजना समझ आने लगी । इन सब से अब लोगो को गंभीर परिस्थिति का स्थिति ज्ञात होने लगी क्योंकि अभी तक बड़ी से बड़ी विपदा के समय में भी भारतीय रेलों को रोका नहीं गया है ऐसे में ये समझने में देर नहीं लगी की अब सब कुछ बहुत नाज़ुक स्थिति में पहुंच चुका हैं ।

22 मार्च Lockdown Day 1- जनता कर्फ्यू
सुबह से ही सब शांत शांत लगने लगा था, मेरा घर रेलवे स्टेशन के।करीब हैं तो दिन में कई दफा रेलगाड़ियों कि आवाज़ सुनाई पड़ती हैं लेकिन उस दिन एक्का- दुक्का गाडियों की आवाज़ आती । सुबह 11 बजे ही भी दोपहरी वाली अनुभूति होने लगी थी, पूरी सड़के खाली- खाली दिखाई पड़ती हैं, उस दिन हमने भी अपनी छुट्टी का भरपूर फायदा उठाया, फिल्म देखी अच्छा खाना खाया और सो गए ।
19 मार्च को अपने उद्धबोधन के दौरान प्रधानमंत्री जी ने 5 बजे 5 मिनट इस मुश्किल घड़ी में काम कर रहे और अपनी सेवाएं दे रहे लोगों को अभिवादन हेतु ताली , घंटी, और प्लेट- चम्मच बजाने को कहा गया ।
मुझे याद है अभी भी मैं उस समय अपने कमरे में सोया हुआ था, खिड़की से धीरे धीरे टन- टन की आवाज आने लगी, ऐसे लगा जैसे कहीं आरती हो रही हो, हमारे यहां भी घर से पापा शायद थाली बजा रहे थे । मैंने खिड़की से बाहर देखा, मेरी खिड़की का दरवाजा बाड़ी की ओर खुलता हैं सामने आम के पेड़ पर चिड़ियों की चहचहाहट से साफ़ समझ आ रहा था कि उन्होंने भी इससे पहले ऐसा कुछ नहीं सुना था। पूरे 10 मिनट तक वातावरण से आवाज़ आती रही थी ।
खैर सबको लग रहा था कि कल से सब सामान्य हो जायेगा, लेकिन क्या ये सब सच में होने वाला था ।

23 मार्च Lockdown day 2
अगले दिन जीवन सामान्य सा दिखाई पड़ रहा था, लग रहा था जैसे अब सब संभल जायेगा लेकिन हमारे प्रदेश में लोकडाउन जारी था । कारोना के मामले में वृद्धि हो रही थी । हमारे प्रदेश में भी मामले 1 से बढ़कर 3 हो गए थे....बीते शाम तक सभी दुकानों को बंद करने का आदेश आ चुका था । केवल दवाई की दुकान और राशन की दुकान खुली रहेगी । लेकिन फिर भी, घर में बैठे बैठे बाहर के उस कर्फ्यू माहौल का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था ।
घर के ऐसे छोटी मोटी जरूरतों के दवाई और सैनेटाइजर, मास्क के बहाने, मैं घर से बाहर निकला । जब सड़कों पर आया तो हर व्यक्ति के चेहरे पे मास्क था, मैं भी रुमाल बांधकर घर से निकला, मेडिकल दुकान में तो पांव तक रखने की जगह नहीं थी । सैनेटाइज़र और मास्क छोड़ के सभी सामान मिल रहे थे, कई दुकानों के चक्कर के बाद बड़ी मुश्किल से पतले फर्जी तरह के मास्क मिले वो भी चौगुणी कीमत पर, मजबूरी का फायदा तो ऐसे लोग उठा रहे ।
खैर ये समझते देर न लगी कि लोगो में खौफ़ किस तरह फ़ैल रहा महज 3 मामले के बाद ही बाज़ार से मास्क की अनुपलब्धता होने लगी हैं । यानी कि हर कोई अब मास्क खरीद रहा है ।

24 मार्च Lockdown day 3
रात 8 बजे प्रधानमंत्री जी का उद्धबोधन आया और उन्होने 21 दिन का पूरे देश में लाकडाउन की घोषणा कर दी । 24 तारीख़ की रात 12 बजे से यह लागू होने वाला था। सारी अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय विमान बंद , सारी पैसेंजर ट्रेनें बंद । केवल सब्ज़ी, राशन और दवाई के दुकानें ही खुलेंगी वो भी तय समय के लिए ।
सभी के लिए ये फ़ैसला चौंका देने वाला था, सब में एक हड़बड़ाहट का माहौल था कैसे राशन आदी लिया जाए । ख़ैर 21 दिन तो बड़ी बात थी, आज का दिन बीता समझ के मैंने भी ज्यादा इस पर सोच विचार नहीं किया ।

25 मार्च Lockdown day 4
वैसे तो ये हमारे प्रदेश के  लिए लॉक डाउन का चौथा दिन हो लेकिन बाकी प्रदेश जहां अभी तक एक भी मामले न मिले हो उनके लिए ये पहला दिन रहा होगा । हमारा लिए तो 4 दिन ऐसे ही बीते थे तो ये कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन 21 दिन का सोंच दिमाग बिलकुल सुन्न सा पड़ जाता था ।
बड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी ज़िन्दगी तो किसी लॉक डाउन जैसी ही थी । इंजीनियरिंग के बाद मेरा ज्यादातर वक्त घर में ही बीतता था, दिन में एक बार कोचिंग और कोचिंग से घर, बस इतने में ही मेरा दिनचर्या होता था, कभी कभार दोस्तों के संग खेलने जाया करता था । तो मतलब पहले भी मेरा ज्यादातर वक़्त घर में ही बीतता था, लेकिन फिर भी इस वाले लॉक डाउन की बात अलग है ।
खैर आज का दिन तो बस माहौल समझने में लग गया, बार बार मैं सड़कों को दौड़कर देखने जाता हूं, कोई एक भी दिख जाए तो यही सोचता हूं की इनकी क्या मजबूरी रही होगी जो ये घर से बाहर आ रहे। क्यूंकि अभी तो कोई मुझे प्रलोभन भी दे तो भी मैं घर से न निकलूं ।

26 मार्च Lockdown day 5
दिन पांचवा, छत्तीसगढ़ में कोरोना के 6 मामले सामने आ गए, सुनने में आया कि छटवां मामले में उस व्यक्ति की कोई भी ट्रैवल हिस्ट्री नहीं हैं जिसका मतलब है कि उन्हें यह स्टेज 3 के तहत फैला हैं । दिन ब दिन कोरोना के बढ़ते मामले से लोगो के मन में अब डर बसने लगा है । अब तो घर में भी किसी को एक छिंक तक आ जाए दूसरे कमरे से आवाज़ आन पड़ती हैं । दवाई खाले, कहीं बढ़ न जाए, तेरा ये जुकाम । भले ही मुझे छींक क्यूं न धूल या अचानक ऐसे ही आई हो ।

पिछली रात घर के सामने वाले कमरे का ट्यूब लाइट ख़राब हो गया, कमबख्त इसे भी अभी ही होना था , अब अगली सुबह मैंने और मेरे भाई ने घर के कुछ कामों की लिस्ट बनाकर एक चक्कर अपने पास के मार्केट की लगाई । कुछ काम ऐसे थे जो लग नहीं रहे थे कि पूरे होंगे जैसे आटा- पिसाना, ट्यूब लाइट मिलना और मोबाइल के रिचार्ज । लेकिन धन्य हो सेक्टर 1 के दुकान वालों का जो एक ही दुकान में सब मिलने की सुविधा रखते है । सारे काम आसानी से ही हो गए । दिन में बाहर तो कोरोना का माहौल लगता ही नहीं, लगभग सारी छोटी बड़ी दुकानें खुली ही रहती हैं । डेली नीड्स की दुकानों में तो अच्छी खासी भीड़ भी देखने को मिलती है , हां लोगों के डर तो है चेहरे पे मास्क या कपड़ा जरूर होता है ।

27 मार्च Lockdown day 6
अब रोज़ कुछ होता भी तो नहीं जो इसमें लिखूं, वहीं रोज कि एक समान दिनचर्या होती है । उठो, खाना खाव, सो जाओ शाम हो गई, समाचार देख लो । फिर किसी दोस्त से गप्पे मारों, रात में एकाद फ़िल्म देख लो हो गया दिन पूरा, कॉपी- किताब तो खुलने का नाम ही नहीं ले रहा है । बढ़ते दिनों और बढ़ते मामलों में अब लोगों को लगने लगा हैं कि इस 21 दिन के लॉक डाउन की अवधि बढ़ने वाली हैं । खैर क्या होगा, क्या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा ।

28 मार्च Lockdown day 7
ख़ाली दिमाग शैतान का घर सुना था, खाली दिमाग आइडिया का भंडार ये पहली बार देख रहा हूं, मेरा दोस्त अर्थात हमारे संगीत निर्देशक को इन लॉकडाउन के दिनों में आइडिया के भरमार आ रहे, रोज हमारी 30-35 मिनट बात होती है और हर रोज कुछ नए प्रोजेक्ट की बात हमारे दोस्त हमसे करते हैं । रोज ही नया संगीत का आइडिया भाई साहब को आता कहां से हैं । ये सचमुच इतना कलाकार था ये मुझे अभी ज्ञात हो रहा या ऐसा प्रतीत हो रहा । भाई सहाब को मेरा खालीपन पसंद नहीं आता, मुझे भी संगीत के बोल लिखने अर्थात् लिरिक्स लिखने को कहते हैं अब भैया कहानीकार से कविता कराओगे तो कैसे चलेगा । ख़ैर जो भी हो समय का पूर्ण सदुपयोग यही भाई साहब कर रहे । अब उत्साहित तो में भी ही जाता हूं उसके आइडिया को सुनकर। लेकिन फिर याद आता है ये सभी प्रोजेक्ट तो अगले साल अमल में आएंगे, फिर भी चलो आज के 21 दिनों में आने वाले 21 महीनों की प्लानिंग कर ही लेते हैं ।

29 मार्च Lockdown day 8
आज 100 से ज्यादा नए मामले सामने आए, अब भारत में कोरोना पॉजिटिव केस की संख्या 1121 हो गई है ।

30 मार्च Lockdown day 9
यूं कल तक तो मैं खुश था कि इस करोना के चक्कर में परिवारों का एकत्रीकरण हो रहा है, सब आपस में घुल मिल रहे हैं आपस में घनिष्ठता पढ़ रही है पुरानी बातों को याद करके हम अपनी यादे ताजा कर रहे हैं । लेकिन आज इसका एक उल्टा प्रारूप भी देखने को मिला, लगातार आपस में रहने से जरूरी नहीं की आपसी तालमेल सुधरे । कभी-कभी यही नजदीकियां आपसी मनमुटाव का कारण बनती हैं । अब lockdown है तो घर से कहीं बाहर नहीं जा सकते...किसी की बात का बुरा लग भी गया तो मन बहलाने बाहर भी नहीं जा सकते ।
तो ये कह सकते हैं कि लॉकडॉउन का ये सबसे बड़ा डिसएडवांटेज हैं।

31 March - Lockdown Day 10
भारत में कोरोना पॉजिटिव कि संख्या - 1559
अब तक हुई कुल मौतों की संख्या -49
विश्वभर में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या - 7,86,000


1 April - Lockdown Day 11
अप्रैल के महीने का पहला दिन, और लॉक डाउन का ग्यारहवां दिन ।
कोरोना के मामले में कोई सुधार जैसी स्थिति नहीं दिखाई पड़ती । हर रोज मामले बढ़ रहे, अख़बार, टी. वी वाले भी दिन भर कुछ न कुछ डराने चौंकाने वाली खबरें बताते रहते हैं, ख़ैर ये उनका काम हैं कि मुसीबतों आने से पहले उनसे अवगत कराये । वैसे तो आज 1 अप्रैल April Fool Day हैं लेकिन सरकार के तरफ से पहले ही कह दिया गया है कि कोरोना से जुड़े मजाकिया मैसेज भेजने पर कानूनी कार्रवाई हो जाएगी । सरकार भी काफी मुस्तैदी से इस सब कुछ को निभा रही हैं । फिर भी डर इस बात का लगता हैं कि हम तो यहां आसानी से घर पर बैठे रहते हैं, हमें इन सब से कोई ज्यादा परेशानी नहीं हैं लेकिन समाज का एक वर्ग जो रोज कमाता, रोज खाता हैं वैसे हिस्से के लिए ये और भी मुसीबत की घड़ी है । अब सारे काम बंद हैं ऐसे में पैसे कैसे आए । फिर भी सरकार बी.पी. एल. के जन धन  खाते में 500-500 रुपए डाल रही हैं । लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे हर किसी जरूरतमंद की मदद हो पाएगी क्योंकि हर किसी के पास बैंक में खाता नहीं है । तो उनकी आजीविका कैसे होगी, कैसे उन्हें राहत होगी, पाता नहीं । बस अब यहां से एक ही कामना कर सकते हैं कि ये सब जल्दी से जल्दी ख़त्म हो , जिससे सब कुछ वापस से सामान्य हो सके ।


2 April - Lockdown Day 12
अब यह हमारे आदतों में शुमार होने लगा है, अब किसी बात पे सोचना नहीं हैं कि दिन ऐसे ही जा रहे या हम कुछ नहीं कर पा रहे है... वैगैरह वैगैरह । सुबह उठना फिर वही रोज वाली गतिविधियां दोहराना हमारी आदत बन चुका है । पूरे दिन में सबसे अच्छा वक्त शाम का होता है । सब बड़े अपने घरों के बाहर कुर्सी लगाकर बैठ जाते हैं थोड़ी बहुत चहल-पहल भी दिखाई पड़ती है । हम भी कुछ वक़्त शाम को सब साथ में बैठ कर बिताते हैं उसके बाद का समय में, मैं दोस्तों से बात करने या यूं कहे गप्पे मारने में लगाता हूं ।
तबलिकी जमात वाले मामले की पुष्टि के बाद, अब भारत में कोरोना संक्रमित की संख्या महज 3 दिन में 1000 से 2000 हो गई । बनती हुई बात बिगड़ती नज़र आ रही हैं हो सकता है एतियाद और भी बढ़ाई जाए ख़ैर इस पर  तो कल ही पता चलेगा । कल सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री फिर से कुछ कहने वाले है.... देखते हैं ये क्या होता हैं तो ।

3 अप्रैल Lockdown Day 13
सुबह की शुरुआत ही हमारे प्रधानमंत्री जी के भाषण से शुरू हुई
पिछले कुछ ही दिनों में कोरोना के मामले में बड़ी तेज़ी से वृद्धि आई हैं । इसलिए शायद ये पीएम का एक ढाढस बढ़ाने वाला संदेश कहा जा सकता है । उन्होंने हमें अपनी एकता को प्रदर्शित करने के लिए 5 अप्रैल को रात 9 बजे घरों के बाहर टार्च, दिए जलाकर अपनी एकता प्रदर्शित करने को कहा । दोपहर होते तक, बिना भाषण देखे उल्टे सर पांव वाली बातें सामने आने लगी । और वॉट्सएप के मैसेज को तो आप जानते ही हो ।
खैर ये सब तो अपनी जगह हैं....।
आज बड़ी दिन बाद ये एहसास हुआ कि रिश्ते कभी खत्म नहीं होते बस उनमें दूरियां आ जाती हैं लॉकडाउन के चलते हम काफी दिनों से अपने अपने घरों में बंद हैं ऐसे में यह एक बेहतर समय हैं कि हम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके ऐसी दूरियों को कम करें ।

4 अप्रैल Lockdown Day 14
दिन शनिवार का होते हुए भी मन में विशेष कोई उत्साह ही नहीं हैं ।अक्सर ऐसा हुआ करता था कि हफ्ताह भर शनिवार और रविवार के दिन के लिए इंतजार हुआ करता था । चाहे वह सप्ताह में आने वाले किसी विशेष कार्यक्रम का हो या कोई भी शनिवार और रविवार को होने वाला कोई भी कार्यक्रम ।
Lockdown की यही सबसे ख़राब बात हैं, की लगातार 13 दिनों के रहने के बाद इसमें शनिवार और रविवार का एहसास होना ही बंद हो गया है ।


5 अप्रैल Lockdown Day 15
8.56 होते ही धीरे धीरे लोगों के घर की लाइटें आहिस्ता आहिस्ता बंद होने लगी । सूने वातावरण में अचानक से लोगों की चहल पहल दिखने लगी । लोगों के दरवाजे, बरामदे और बालकानियों में दिये जलाने लगा । जिनके यहां दिये नहीं जले वो छत पर टार्च लेकर चल दिए । गालियों में बेशक स्ट्रीट लाइटें जल रही थी लेकिन घरों की रोशनी बंद थी, परिवार के सभी लोग घर के आंगन और छतों पे दिखाई दे रहे थे, ये कह सकते हैं मानों गर्मी में दीवाली जैसा नजारा दिखाई पड़ रहा है। लोगो का यह सामूहिक क्रियाकलाप से एक बड़ा ही सुंदर वातावण दिखाई पड़ता हैं ।
हां, कुछ लोग फटाके और बम फोड़कर थोड़ा इस माहौल में खलल डाल रहे थे । लेकिन फिर भी देश की एकता दिखाई पड़ती हैं ।
भले कोई भी विपदा का समय हो देश एकजुट हो कर सबका सामना करता हैं ।

6 अप्रैल Lockdown Day 16
आज सुबह के अख़बार और वॉट्सएप के स्टेटस में रात की दिये वाली तस्वीर सबकी लुभावनी सी लग रही हैं, सभी एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे, यह देखकर अच्छा लगता है । देश में ऐसा माहौल तो मैंने कभी नहीं देखा हैं, बेशक कोरोना एक वायरस हैं ।लेकिन इसके होने से बहुत सी अच्छी चीजें देखने को मिल रही हैं, जिसकी उम्मीद किसी भी ने नहीं की थी ।
सुबह सुबह अखबार से एक अच्छी खबर सामने आई, भले देश में कोरोना के मामले बढ़ रहे लेकिन हमारे अपने प्रदेश में लोग ठीक होकर घर की ओर लौट रहे, 10 में से 8 लोग इस गंभीर बीमारी से ठीक हो चुके हैं । बढ़ते दिनों के साथ कुछ कुछ अच्छी बातें होने लगी हैं देखते हैं ये सफ़र और कैसा होने वाला है ।


7 अप्रैल Lockdown Day 17
रोज की दिनचर्या अब एक सी होने लगी हैं, सुबह से लेकर शाम तक दिन बोरियत में बीतता है । शाम को थोड़ी बहुत अच्छी ये बात होती है कि कोई दोस्त यार को फोन लगा लो, तो बातें करके दिन बन सा जाता है । बहुत से लोग ऐसे समय का भरपूर सदुपयोग कर रहे होंगे लेकिन मेरे संदर्भ में यह बिल्कुल उल्टा हैं । वैसे तो घर में पहले भी रहते थे लेकिन इस लॉकडाउन में यह छुट्टी जैसा प्रतीत नहीं होता, बस लगता है जैसे नजरबंद हो। बैठे बैठे विचार आने जैसे बंद से हो गए हैं, न अब कोरोना के बारे में लिखने को मन करता है ना ही कुछ और, देखते हैं कब तक इसे निभा पाते हैं ।

8 अप्रैल Lockdown Day 18
ये लॉकडाउन अब थोड़ा थोड़ा पुराने दिनों को याद करने जैसा होते का रहा है, लोग सोशल नेटवर्क पर पुरानी तस्वीरें, पुरानी अपनी यादों को ताज़ा करते नजर आ रहे । मैंने भी अपने स्कूल दोस्तों के साथ उनकी पुरानी तस्वीर और ऐसी कुछ यादें हमने आपस में बांटी, फिर से यही कहूंगा, और तो कुछ करने को हैं ही नहीं तो अब ये सबसे वाजिब काम लगता हैं । पुरानी तस्वीरें की एक खास बात होती है कि वह आपकी याद तो ताज़ा करती ही हैं साथ ही साथ आपको पुराने संस्मरण के समय में ले जाती है मेरे साथ तो कभी-कभी ऐसा होता है कि पुरानी तस्वीरों को देखकर घंटो उस वकिए और उस समय को याद करते रहता हूं । इससे एक चीज़ जो कि सीखने को मिलती है कि अगर आपका वक्त बुरा चल रहा है तो कोई ऐसी पुरानी चीज जरूरी ढूंढ लेनी चाहिए जिससे आपको चल रही वर्तमान ज़िन्दगी से ब्रेक लेकर कुछ समय सोचने का मौका मिल जाए । आज के दिन के लिए कोई विशेष बात तो बताने को बची ही नहीं इसलिए जो मैंने महसूस किया उसे लिख दिया है ।

9 अप्रैल Lockdown Day 19
आज का दिन तो बातों के लिए था, ज्यादातर समय अलग अलग लोगो से बात करने में गुज़रा । मेरे रोज की बातचीतों में मेरे एक दोस्त हैं जिनसे मेरी तकरीबन रोज ही बात होती है । अब हमारे बीच घनिष्ठता भी कुछ ऐसी हैं कि हमें रोज बात करने के लिए कुछ न कुछ विषय जरूर मिल जाता है । रोज बात करने की एक और वज़ह ये भी हैं कि वो अपनी पढ़ाई के लिए दिल्ली में हैं, अब लॉक डाउन के वजह से घर नहीं लौट पाए अब मजबूरन वहां रहना पढ़ रहा, सभी सुविधाएं उपलब्ध है पर फिर भी अकेलापन तो सताता ही हैं । और घर में भी मुझे इन महाशय से बात करने पे भरपूर छूट मिलती है क्योंकि मां-पापा भी इनसे परिचित हैं तो वहां की परिस्थिति समझ कर मुझे बात करने पे कोई रोक नहीं होती । वरना एक ही इंसान से रोज लंबी बातें करने पे एक सामान्य व्यक्ति भी शक करने लगे । अब रोज मेरे पास भी इस डायरी में लिखने को कुछ नहीं होता तो अपना कोई निजी जीवन का हिस्सा यहां लिख दिया करता हूं ।


10 अप्रैल Lockdown Day 20
वैसे तो अब लॉक डाउन में सिर्फ 5 दिन शेष हैं लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक होने वाला एहसास नहीं रह गया है। जैसा होता है ना कि काले बादल आते हैं तीव्र वर्षा होती है लेकिन अंत में बादल छटने लगते हैं जिससे पता चल जाता है की अब बारिश बंद होने वाली है । लेकिन हमारे मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा, कोरोना के बादल और बदराते दिखाई पड़ रहे है, न जाने कब सब सामान्य सा होगा । अब तो मन में इस लॉक डाउन की आदत सी होने लगी हैं अब लगता है सब कुछ अचानक सा ठीक हो जाने पर एकदम से इस थमी ज़िन्दगी पर बहुत सा जोर पड़ेगा, तब मुश्किलें और भी बढ़ेंगी । कोरोना के बारे में कहूं तो अब विश्व भर में कोरोना से हुई मौतों की संख्या एक लाख हो गई है, भारत में अब कोरोना के 6761 मामले की पुष्टि हो चुकी है जिसमें से 980 लोगो की मृत्य हो चुकी हैं ।

11 अप्रैल Lockdown Day 21
इस दिन की दिनचर्या तो मैं अगले दिन ही लिख रहा हूं, क्योंकि आज का ये दिन तो पूरी बातचीत में ही निकला । आज ये पहला दिन था जब मेरे daily Quota का 250 मिनट, जो की मेरे सिम में बात करने के लिए प्रतिदिन मिलता है । शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक अलग अलग कॉल पर लोगो से बात करता रहा, अब खाली बैठे और कर भी क्या सकते हैं । ये शायद दिन की सबसे ऐसे ख़ास पल होते जहां 1 घंटा या 45 मिनट का पता तब चलता है जब फोन कट जाता है । तो यही कहूंगा कि लॉक डाउन के दिनों में ये याद रखा जाएगा कि कैसे हमने भूले बिछड़े दोस्तों को याद किया ।

12 अप्रैल Lockdown Day 22
आज का दिन कुछ पुरानी यादों से रहा, मेरे लिए सबसे अच्छा समय वो होता है जब किसी की ज़िन्दगी से रूबरू हो । ऐसे ही मेरे एक मित्र ने आज अपने जीवन की कुछ अविस्मरणीय यादें मुझसे साझा की । ये सब शायद मुश्किल था कि हम सामान्य दिनों में एक दूसरे से पूछ पाते, जान पाते, लेकिन अब खाली समय हैं तो ऐसी कुछ यादें अब आपस में साझा कर रहे।  तो एक तरीके से कहूंगा की ये सब अच्छा ही हैं ।

13 अप्रैल Lockdown Day 23
अब जैसे जैसे दिन नजदीक आ रहा, वैसे वैसे देश में कोरोना के ममाले में तेज़ी से वृद्धि दिखाई पढ़ रही हैं । हमारे खुद के प्रदेश में संख्या 25 तक हो गई है । अब तो यह पक्का हो गया है कि लॉक डाउन को अवश्य ही बढ़ाया जायेगा । आज 13 अप्रैल को मेरे बहुत ही करीबी मित्र का जन्मदिन है, वैसे तो वो भाईसाहब हर साल अपना ये दिन ज्यादा धूम-धाम से मनाते नहीं हैं । हम अगर कुछ प्लान कर दें तो एक ही बात बोलेंगे - इतने तामझाम कि जरुरत नहीं । ख़ैर अब लॉक डाउन के समय में क्या ही उनके लिए विशेष करेगें , याद आया कि कुछ पुरानी बातों को कविता का रूप देकर लिखा जाए । लेकिन समस्या यहां ये थी, कि जब आपको कविता किसी सामान्य व्यक्ति जो ज्यादा साहित्य के बारे में न जानता हो तो उनके लिए लिखना हो तो ये आसान होता है लेकिन एक ऐसे व्यक्ति के लिए कुछ लिख पाना, जो इसमें महारत हासिल कर चुका हूं उसके लिए काफी कठिन होता है क्योंकि वह हमारी छोटी-छोटी गलतियों को आसानी से पहचान लेगा । 
और समस्या यहां पर ही खत्म नहीं होती है क्योंकि वह मेरे काफी अजीज है तो उनके बारे में लिखने को तो बहुत कुछ हैं लेकिन ऐन वक्त पे कुछ याद भी नहीं आता । तो इस दृष्टिकोण से भी यह काफी मुश्किल है फिर भी पिछले 2 या 3 दिनों से इस पर काफी सोच विचार करके, आज यह पूरा कर लिया है मैंने । लेकिन समस्या अब यहां खत्म नहीं होती है, क्योंकि यह मेरा विशिष्ट गुणों में नहीं आता तो मेरे लिखे शब्दों की तुकबंदी को सामने वाले तक सही-सही समझा पाना मुश्किल है खासकर तब... जब आप उसे ये सब लिख कर भेज रहे हो । तो ऐसे में मैंने निश्चय किया की कविता को सही-सही सार्थक शब्दों में समझाने के लिए उसे बोलकर पहुंचाना बहुत जरूरी है इसलिए मैंने अपनी आवाज मैं उस कविता को बोलकर उसे रिकॉर्ड किया और उसे भेजा । ऐसा नहीं है कि ये कोई बड़ी बात है लेकिन ऐसे व्यक्ति के लिए ये जरूर बड़ी बात है जिसे अपनी ही आवाज़ सुनने से झिझक लगती हों ।
तो अंततः यही आज के इस लंबे भाषण का एक ही निष्कर्ष निकलता है  कि कभी कभी हम अपने करीबी के लिए अपनी ही बनाए कुछ सीमाओं को लांघते हैं तो ये उन्हीं कड़ी में से एक हैं ।

14 अप्रैल Lockdown Day 24
अब जब मुझे इसे लिखते 24 दिन हो गए, इस पृष्ठ में कई हजार शब्द हो गए हैं, अब इन्हें लिख लिया है तो इन्हे publish करने की चिंता, अगर रोज इसे प्रकाशित करता तो इतना भार नहीं पड़ता । अब इसे कहा पब्लिश करूं, ये भी तो नहीं पता ।
ऐसा नहीं है कि इन 24 दिन मैं लगातार था, बीच के कुछ दिनों में तो में इसे भूल जाया करता था । कुछ-कुछ दिनों में मैंने बस कोरोना संख्याएं लिख कर खानापूर्ति कर दी है । कोई-कोई दिन तो लिख नहीं पता तो उसकी दिनचर्या याद करके 2-3 दिन बाद लिखता था । ख़ैर इतनी छूट तो मुझे मिलनी ही चाहिए ।
अब पुराने सारे लिखे ये Note को पढ़ता हूं तो देखता हूं कि मैंने लिखते लिखते पूरे इसके मायने ही बदल दिए । पहले रोज होने वाली खबरों को लिखता था, बाद में ये मेरे निजी दिनचर्या को लिखने का जरिया बन गया, शायद ये असर लॉक डाउन का ही हैं ।
आज हमारे प्रधानमंत्री जी सुबह 10 बजे फिर से टी. वी.पर संबोधन के लिए आए । और जैसा की सब को उम्मीद थी वैसे हुआ भी, लॉक डाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा हमारे प्रधानमंत्री के द्वारा की गई । 20 मार्च तक लॉक डाउन और भी कड़ा होगा उसके बाद, कोरोना प्रभावित जिलों के हिसाब से इसका मूल्यांकन किया जाएगा । अब आने वाले और 19-20 दिन और इसी तरह निकलने हैं अब विगत 20-25 दिन से यही आलम रहा हैं अब तो ये बात से थोड़ा विचलित कर देता है कि जब सब कुछ खुल जाएगा तब कैसा होगा । ख़ैर ये तो वक्त ही बताएगा । अब इससे साफ होता है कि मुझे आने वाले 19 दिन और इसे इस डायरी लेखन को सुचारू रूप से चलते रहते देना हैं । लेकिन सच कहूं तो में खुद इस बात पर सोच में हूं कि जितने बातें बताने को थी सब इन 24 दिनों में लिख चुका हूं, ऐसा भी हुआ हैं कि इस डायरी को समय देने के कारण मेरी बहुत सी कहानियां अधूरी पड़ी रह गई है जो श्याद इन 21 दिनों में पूरी हो सकती थी । अब मेरा ये सब लिखना सार्थक था या नहीं था, ये तो आप ही बता सकते हैं । 

लॉक डाउन के डायरी वर्जन का पहला भाग यही तक था । अगला भाग लिखूंगा या नहीं ये नहीं पता, पर कोशिश तो जारी रहेगी।

अपनी प्रतिक्रिया जरूर साझा करे ।

Prem Narayan Sahu

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

लगता हैं ❤️

विपदा

मन की बात #5 – The Kashmir Files फिल्म