Lockdown Diary Part -2 | Updated Till 3 May

15 अप्रैल Lockdown Day 25
आज का पूरा दिन तो पुरानी लिखे हुए पोस्ट को पब्लिश करने में निकल गया । 24 दिन के पोस्ट का भार एक ही दिन में आएगा तो यही होगा...मैंने इसे फेसबुक पर भी Backdate का इस्तेमाल करके...एक एक दिन के हिसाब से पोस्ट कर दिया है....और अब जितने भी दिन लिखूंगा ये ब्लॉग और फेसबुक दोनों पर आता रहेगा । लेकिन अब जब ये प्रकाशित हो रहा तो बार बार सोचने पे मजबूर कर रहा की इसमें लिखूं क्या..! बार बार लिखता हूं.... बार-बार मिटाता हूं ।
खुद के लिए लिख रहा था तो उतना सोचना नहीं पड़ता था लेकिन अब जब ये सब पढ़ने वाले हैं तो इसे सोच समझ कर लिखूंगा ।
शाम को खबर आई कि कल शाम 5 बजे से अगले 3 दिन, तक कर्फ्यू रहेगा...। ख़ैर हमें क्या ही फर्क पड़ेगा...पिछले 15-20 दिनों से घर के बाहर ही नहीं निकला हूं । 

16 अप्रैल Lockdown Day 26
शाम के 6.28 हो गए, आज लूडो के चक्कर में शाम को बाहर निकलकर, आंगन में बैठना नहीं हुआ....। बड़ी देर बाद बाहर आया तो देखा पौने सात बजे तक भी, अंधेरा नहीं हुआ है । हर साल जैसी गर्मी होती तो बच्चों की आवाज आती रहती... गर्मियों के दिनों में बच्चे बाहर देर तक खेलते हैं ।लेकिन इस साल तो एकदम सन्नाटा पसरा है । किसी के घर एक बर्तन भी गिरता हैं, आवाज पूरी गली में आती हैं। 
3 दिन वाले कर्फ्यू का असर अब दिखने लगा हैं । दोपहर में ही पुलिस की गाड़ी ने रोड में चलते हुए लोगो को घर भगाया था ।
सुबह सुबह बड़े दिनों बाद मैं घर से बाहर सब्ज़ी लेने निकला, गीनी चुनी सब्जियां ही मिल रही, उपर से 72 घंटे के कर्फ्यू के डर से लोगों में ऐसा माहौल हैं की , जो मिल रहा वो ले ले । अब मेरे पास भी क्या विकल्प शेष हैं, जो पसंद नहीं, वो सब्ज़ी भी खरीदनी पड़ रही ।
अब दिन काटने को नहीं कट रहे, देखते हैं कैसे होने वाला हैं आगे का समय, वैसे उम्मीद तो हैं की 20 तारीख के बाद कुछ तो सुधार हो ।
मेरे लिखते तक 608 नए मामले कोरोना के दिन भर में पता चले, अब 12,979 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जिसमें 10,911 एक्टिव केस हैं । हमारे प्रदेश में अब 33 में से 23 लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके , 10 लोगो का इलाज़ अभी भी जारी है ।

17 अप्रैल Lockdown Day 27
आज के अखबार पे कुछ तस्वीरें हैं, जिसमें अलग-अलग ठेले की तस्वीर हैं जो हैं तो कुल्फी, चाट, मोमोस आदि के ठेले हैं, लेकिन उनमें सब्ज़ी और फल बेचते दिखाई पड़ रहे । ये सब देख के एक ही चिंतन मन में आता है कि हमारी ज़िन्दगी कितनी आसान है, लेकिन कोई और जिसे अपने रोज के खाने के लिए मेहनत करना पड़ता है ऐसे हालात से निपटने के लिए अपनी आजीविका का माध्यम तक बदलना पड़ता है । लॉक डाउन के ये दिन हम जैसे लोगो के लिए आसान है, कुछ न करो घर में बस पड़े रहो, उसमे तक हमें बोर हो जाते हैं । लेकिन सोचिए ऐसे लोगो का जिनको हर रोज ये सोंचना पड़ता है कि आज का अपने भोजन के लिए वो कैसी व्यवस्था करें । 14 अप्रैल के शाम में महाराष्ट्र के एक शहर का एक ऐसा ही वीडियो आया था जिसमें हजारों मजदूर अपने घर जाने के लिए, स्टेशन में एकत्रित हो गए थे । अब मजबूरन पुलिस को उनमें लाठी डंडे इस्तेमाल करने पड़े। ऐसे परिस्थिति में आप किसको सही ठहराएंगे, पुलिस को, प्रशासन को या यूं मजदूरों को...?
कहना बड़ा मुश्किल है, बस यहां से सब जल्द से जल्द ठीक होने की कामना ही कर सकते हैं ।
आज कोरोना के 393 नए मामले, अब संख्या - 11403
प्रदेश में 3 नए मामले अब कुल 36, ठीक हुए - 23, अब भी 13 अस्पताल में ।

20 अप्रैल Lockdown Day 30
दो दिन बाद आज दोबारा लिखने की हिम्मत की हैं, रोज तो कुछ लिखने को भी नहीं होता जिसका जिक्र करूं । सोचा तो था की अपने दिनचर्या का हिस्सा भी लिखा करूंगा, लेकिन कुछ भी ऐसा नहीं है । आजकल की सुबह को एक अलग तरह की निराशा होती है, बहुत देर बाद समझ आया ये सब कुछ ठीक ना होने वाली निराशा हैं।
आज लगभग 30 दिन हो गए, जब हम ऐसे अपने अपने घरों में बंद हैं, बहुत से लोग इस लॉक डाउन में भी कुछ न कुछ productive कर ही ले रहे हैं तो उनको देख-देख कर मन में एक हीन भावना आ रही की, हम ही कुछ नहीं कर पा रहे । अब इन 30 दिनों का इस तरह व्यर्थ जाना ही निराशा का भाव ला रहा हैं । दूसरी तरफ कोरोना से जुड़ी भी कुछ अच्छी खबर देखने को नहीं मिलती, हर रोज  1000 तक मरीज नए मिल रहे । आज ही दिल्ली में कुछ ऐसे मामले सामने आए, जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण जैसे सर्दी-खांसी दिखाई नहीं पड़ रहे, वैसे ही केरल के एक परिवार को क्वारांटाइन के 28 दिनों बाद कोरोना पॉजिटिव पाए गए , जबकि अभी तक की शोध और पुराने मामलों में ये 14 दिन तक ही किसी शरीर में दिखाई पड़ता था, तो ये सब बातें किसी खतरनाक सत्य से कम नहीं । अब कुछ अच्छा सोचने समझने को नहीं हैं तो मन में जैसे नकारात्मकता का अड्डा सा ही गया हैं ।
ये सब सोचकर एक ही चीज़ समझ आने लगी हैं कि संसारिक और भी चीजें आपको आंतरिक खुशी नहीं से सकती थी । इन बीते दिनों में, मैं खुश था कि चलो पढ़ाई लिखाई नहीं हो पा रही, कुछ बेहतर कर भी नहीं पा रहे लेकिन फिर भी जीवन में मनोरंजन हैं । मोबाइल, फिल्म, सोशल नेटवर्क, आदि चीजें अभी तक सुकून दिलाने में काफ़ी थी । लेकिन अब सच कहूं तो इन चीजों का मोह ख़त्म हो गया, आखिर कोई कितना ही फिल्म, मोबाइल आदि चलाएगा उस और भी चीजें चाहिए जिसमें उसका ध्यान लगा रहे । जैसा कि पहले भी मुझे संदेह था । डर इस बात का नहीं है कि ये सब अब कब सामान्य होगा, डर तो इस बात का हैं की जब सब सामान्य होगा तब हम वापस वैसी ही दिनचर्या में कैसे लौट पाएंगे । हो सकता है ये बातें सभी के लिए लागू ना होती हो, पर मेरे लिए ये एकदम कड़वे सच जैसा प्रतीत हो रहा ।
मेरे लिखते तक 728 नए मामले कोरोना के दिन भर में पता चले, अब 18,032 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जिसमें 14,493 एक्टिव केस हैं । 2,969 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके हैं । हमारे प्रदेश में अब 36 में से 25 लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके , 11 लोगो का इलाज़ अभी भी जारी है ।

23 अप्रैल Lockdown Day 33
लॉक डॉउन का 32 वां दिन, और फिर से दो दिनों का अंतर ,इस बार की डायरी तो बस लेखा-जोखा मात्र रह गई है । ख़ैर लिखने को कुछ विषय भी हो तो कुछ लिखूं । आज का दिन कुछ उन दोस्तों से बात कर के गुज़रा जिनसे पहले रोज का मिलना जुलना होता था । अब इन सब के वजह से ऐसा हो गया है की वॉट्सएप के ग्रुप में भी मुश्किल से एक दूसरे बात हो पाती हैं । अब बात करके यही पता चला कि लोगों में लॉक डाउन के ख़त्म होने की बैचैनी जरूर हैं पर लोगो ने इसे सहर्ष स्वीकार लिया है । लोगों की दिनचर्या उसी ढंग से ढलने लग गई है । भले मुझे खुद व्यक्तिगत रूप में ऐसा लगता है कि मेरा routine गड़बड़ा गया है लेकिन जिनका खुद में संयम हैं, अनुशासन हैं उनके लिए ये अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई है कि अपने प्रतिदिन में वो अपने कर्तव्य का भी पालन करें और साथ में अपना मनोरंजन बरकरार रखें । हो सकता है आप भी उनमें से एक हो, अपनी प्रतिक्रिया जरूर बताएं । आज के दिन के लिए इतना ही ।

24 अप्रैल Lockdown Day 34
आज के दिन की खास बात है कि आज मेरे मां- पापा के शादी की सालगिरह हैं, ये उनका 35 वाँ साल हैं, 35 साल ...क्या कम है एक दूसरे को जानने के लिए । ख़ैर ये बड़ा संजीदा मामला हैं कभी विस्तार में इस पर अलग ब्लॉग में लिखूंगा ।
आज का दिन इसलिए भी खास हैं क्यूंकि आज हमें कुछ खास पकवान खाने को मिलेंगे । अब इन 30-35 दिनों से लोगो के स्टेटस देख-देख कर मन में था कि कब हमारे यहां पकवान बने और मैं एक फोटो खींच कर स्टेटस लगाऊं । ख़ैर कुछ पाने के लिए बहुत सारा मेहनत करना पड़ता है आज के लिए विशेष तैयारी कल से ही शुरू हो गई थी अब ऐसे विशेष पकवानों के लिए विशेष सामग्री चाहिए होती हैं जिसके लिए अलग अलग वक़्त पे बाज़ार जाना पड़ रहा है, पता नहीं बाकी लोग कैसे इतना सब संसाधन जुटा कर सब बना लेते हैं । सामग्री और पकवान पे कोई बातचीत नहीं करूंगा क्यूंकि ये फिर काफी लंबा हो जाएगा । 
दोपहर तक मेहनत सफल हुई, और खाने में सारे पकवान पाकर ऐसा दिल भर आया की तस्वीर खींचना ही भूल गया, ख़ैर बाद में मैंने फोटो जरूर ली । तो आज के दिन तो यही था एक खास दिन, लॉक डाउन में ये सब जरूर याद रहेगा कि कैसे कम संसाधन में भी घर के सामानों में अच्छा स्वदिष्ट व्यंजन बनाया जा सकता है हालांकि हमें तो बाज़ार से सामान मिल ही गए थे कुछ सामान घर में मौजूद थे ।

25 अप्रैल Lockdown Day 35
35 वां दिन भी समाप्त होता है, आज जो कि मैंने व्यक्तिगत रूप से महसूस किया वो मैं साझा करने जा रहा हूं । कैसे एहसास हुआ उसमें बात करके इसे लंबा नहीं करूंगा । जैसा कि इन बीते दिनों में मैं कई बार कह चुका हूं कि ऐसी बोरियत भरी और कम productive भरी ज़िन्दगी से मैं परेशान रहने लगा हूं । लेकिन आज इसमें एक विशेष भाव जो मैंने महसूस किया, कि आपका दक्ष न होना आपमें निराशा ला सकता है लेकिन अगर इन चीजों का आपको आभास हैं, आपको realisation हैं कि आप कहां गलत कर रहे तो आपमें ये एक positive बात हैं । और ये जो अनुभव हैं यही आपमें आत्मविश्वास भी लाता है । भले हो सकता है कि आप अपनी इस अवगुण को आज ठीक न कर पाए हो या उसे न सुलझा पाए हो लेकिन आशावादी रहने का दृष्टिकोण भी इसी आभास, इसी अनुभव से मिलता है ।
एक बात और जो मन में हैं की भले आपके खुद का जीवन सही नहीं हो लेकिन फिर भी आप ऐसे कठिन समय, जहां खुद के जज़्बात हावी हो, ऐसे समय में दूसरों को खुश रखते हो, उन्हें प्रेरित करते हो, उनकी खुशी का हिस्सा बनते हो तब आपसे ज्यादा आशावादी या यूं कहे सकारात्मक विचार वाला व्यक्ति कोई नहीं होगा ।
आज के लेख में शायद शब्द कठिन से हैं उम्मीद करता हूं आपको समझा पाने में सफल हुआ होगा ।

27 अप्रैल Lockdown Day 37
अब लॉक डाउन के लंबे समय के बीतने के बाद अब किसी से मिलना अरसे बाद मिलने वाला एहसास दिलाता है । आज ही अपने एक दोस्त से मुलाकात हुई तो बिल्कुल ऐसा ही महसूस हुआ । अब घर में बैठे बैठे भले किसी न किसी को कुछ काम सूझे न सूझे लेकिन घर में मां लोगों को एक से एक काम याद आ रहे । जैसे आप उदाहरण के लिए मेरा यहां ही देख सकते हैं क्योंकि अभी हम घर में हैं तो मां मेरी ऐसे काम चुन रही हैं जिनमें उन्हें हमारी मदद चाहिए होती है जैसे की पापड़ बनना । अब पापड़ में एक व्यक्ति स्पेशल अलग से चाहिए होता है जो उन बनते पापड़ों को सुखा सके तो ऐसे ख़ास कामों के लिए हमें चुना जा रहा । कुछ लोगो के यहां घर कि सफाई तो भूले-बिसरे काम किए और करवाए जा रहे । अब क्वारंटाइन में एक घर की गृहणी ही हैं जिन्हें छुट्टी नहीं मिली है वो अभी भी उसी शिद्दत से घर के कामों में जुटी है तो ऐसे में हमारा उनके लिए थोड़ा मेहनत करना तो बनता है तो आज कि दिनचर्या कुछ ऐसी ही थी । कुछ अच्छी तो कुछ धूप में पापड़ों के साथ ।

28 अप्रैल Lockdown Day 38
आज 38 दिन बाद कोरोना की एकदम अलग ही तस्वीर हैं, मैंने भी अपने इस डायरी वर्ज़न में कोरोना संख्याओं का ज़िक्र करना बंद कर दिया था, अब रोज ही आंकड़े बढ़ रहे हैं और भले आप माने या ना माने, भले आप खुद कितने भी सुरक्षित क्यूं न हो, देश की यथा व्यवस्था देख के मन ख़राब सा ही रहता है । अब धीरे धीरे लोगों में लॉक डाउन को लेकर नकारात्मक प्रभाव आने लगा हैं। आप को कुछ ऐसे लोग भी बोलते मिल जाएंगे, जिनको इस लॉक डाउन से ऐतराज़ भी होगा । और जैसा कि मैं पहले ही बात समझ चुका था कि सरकारें कितना भी कर ले लेकिन अंत में उन्हें आज नहीं तो कल, लोगों की खरी खोटी सुननी ही पड़ेगी, खासकर ऐसे लोग जिनकी आजीविका पे ज्यादा बात आई हैं । ऐसे लोग जो रोज कमाते और उसी आमदनी से जीवन यापन करते थे उनके लिए ये किसी बुरे सदमे से कम नहीं हैं । भले सरकार चावल दे रही हैं लेकिन खाना बनाने के लिए केवल चावल बस की जरूरत नहीं होती और भी अन्य राशन , सब्ज़ी आदि की आवश्यकता पड़ती है । और ऐसे में लॉक डाउन रह के काम बन्द होना बड़ी मुश्किल वाली बात हैं । ख़ैर मैं समझता हूं यहां सरकार भी क्या ही कर सकती हैं, वैसे ही अर्थव्यवस्था कि हालात ख़राब है फिर भी जितना सरकारें कर सकती हैं, कर रही हैं । और लोगों को भी आलोचना करना जायज़ हैं, क्योंकि उनकी जीविका बाधित हैं, तो ऐसा सोचना स्वाभाविक है । अब अंत में एक ही बात कहूंगा जो मैं निष्कर्ष लगा पाया हूं कि हम जहां हैं, जैसे है, जो हमारी जिम्मेदारी बन पाती हैं उसे वैसे ही निभाएं । जैसा होगा, वो वक्त पे निर्भर होगा और यही कामना कर सकते हैं कि सब जल्दी ठीक हो जाए ।

आज 1003 नए मामले कोरोना के दर्ज किए गए, अब 30,245 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जिसमें 22,428 एक्टिव केस हैं । 7,315 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके हैं । वहीं 1008 लोगों की इससे जान जा चुकी हैं । आज प्रदेश में कोरोना के 10 नय मरीज मिले, हालंकि ये रैपिड टेस्टिंग के आधार वाले हैं इनकी पुष्टि कल होगी जब और नतीजे सामने आएंगे, इन 10 लोगों को मिलाने के बाद, अब हमारे प्रदेश में अब 48 में से 34 लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके , 14 लोगो का इलाज़ अभी भी जारी है ।


29 अप्रैल Lockdown Day 39
आज ही के अख़बार में मैंने अभिनेता इरफ़ान खान के अस्पताल में भर्ती होने की खबर पढ़ी, मन में एक हल्की सी प्रार्थना वाली सुगबुगाहट हुई कि सब ठीक ही हो, कुछ ही दिन पहले मैंने उनकी माता जी के देहांत वाली खबर पढ़ी थी । जिसमें लिखा था कि लॉक डाउन के चलते वो अपनी मां को अंतिम विदाई नहीं दे पाए।
पहले पहर के होते ही खबर आने लगी कि वे भी अब इस दुनिया में नहीं रहे । मन में किसी खास के खोने वाले एहसास से दिल भरा जा रहा था । हाल कुछ दिनों पहले ही मैंने उनकी फ़िल्म अंग्रेज़ी मीडियम देखी थी, और उनके अदाकारी को देखकर अपने घर परिवार में कह भी रहा था कि ये फ़िल्म जरूर देखें, काफी अच्छी फिल्म है । चंद घंटों में ही उनकी तस्वीर हर जगह लोग साझा करने लगे, उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे । इरफ़ान खान एक महान अभिनेता थे, उनके अभिनय को मैंने जज़्बा फ़िल्म के बाद सराहना शुरू किया था, उनकी ये प्रसिद्धि उन्हें उनकी फ़िल्म पान सिंह तोमर से मिली, उन्हें इस फिल्म के अभिनय के लिए राष्ट्रीय सम्मान भी मिला । लोगों उन्हें इसी फ़िल्म के बाद ज्यादा पसंद करने लगे थे । उनकी जीवनी के बारे में कुछ एक बातें पता चली जो मैं आपसे साझा करना चाहता हूं,

बचपन उनका भी बड़ा कठिनाइयों से गुज़रा था, बचपन में ही दिलीप कुमार साहब और नसीरुद्दीन शाह को देखकर उन्होंने अभिनय करने का ठान लिया था । पिता के गुजर जाने के बाद मुश्किल वक्त में उन्होंने NSD से पढ़ाई की और फिर 10 साल का लंबा संघर्ष फिल्मों में आने के लिए किया । अपने करियर कि शुरुआत उन्होने टी. वी. के धरावाहिक से की, बाद में उन्हें The warrior फिल्म ऑफर की गई जिसमें उन्होंने अपने अदाकारी से अपनी जगह बनाई, 2007 में अनुराग बासु के Life in a metro से अपनी अभिनय की छाप छोड़ी और बाद में पान सिंह तोमर, लंचबॉक्स, हिंदी मीडियम जैसी फिल्मों से नाम कमाया ।
उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि बचपन में उनके पास एक हॉलीवुड फ़िल्म Jurasic Park देखने को पैसे नहीं थे लेकिन किस्मत और अदाकारी का कमाल कुछ ऐसा रहा की उन्हें 2015 में आई Jurasic World में जुरासिक पार्क के मालिक का किरदार निभाने का मौका मिला ।  हाल में आई अंग्रेज़ी मीडियम में भी उनका किरदार मुझे बड़ा पसंद आया, उसी फ़िल्म का एक डायलॉग जो मुझे 
उनके निधन के बाद याद आया 👇🏻(तस्वीर में)
भगवान उनकी आत्मा को शांति दे 💐🌹🌺 



30 अप्रैल Lockdown Day 40

आज की सुबह भी बुरी खबर लेकर आया, पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा 2585 मरीज कोरोना के पता चले हैं । कोरोना के मामले में कमी के कोई आसार नहीं दिख रहे । लेकिन अब राज्य सरकारें अपने प्रदेश के अलग अलग जगह फंसे लोगो को वापस घर लाने की कवायद में जुट गई थी । अभी थोड़ी देर हुई भी नहीं थी कि आज की और सबसे बुरी खबर पता चली, अभी इरफ़ान खान की मौत की खबर लोगो के जहन से निकली भी नहीं थी कि कपूर परिवार के अहम सदस्य ऋषि कपूर जी का आज निधन हो गया । बुधवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वो पहले से ही कैंसर से पीड़ित थे वो कुछ साल विदेश में अपना इलाज भी करवाए थे लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था । उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत 1973 में बॉबी फिल्म से की थी । उनकी आख़िरी फ़िल्म मैंने मुल्क और 102 नॉट आउट देखी थी । उनकी जोकर फिल्म भी मैंने काफी बार देखी थी । सच कहूं तो हम ऐसे सितारों को केवल फिल्मों में देखे होते हैं उनका अभिनय उनका वर्चस्व कुछ ऐसा हमारे जहन में होता है कि उनके गुज़र जाने पर एक अपनापन , एक अपने किसी को खोने का एहसास होता है । पता नहीं आने वाला ये साल और क्या क्या रंग दिखलायेगा....
आज के लिए बस इतना ही....

3 मई Lockdown Day 43

आखिरकार lockdown में का दूसरा पड़ाव भी आज खत्म होता है। 2 दिन पहले ही यानी कि 1 मई को ये घोषित कर दिया गया था कि लॉक डाउन को और 2 हफ्ते बढ़ा दिया गया है । कोरोना के मामले थम ही नहीं रहे , संख्याएं लगातार बढ़ती ही जा रही हालांकि दूसरे देशों से हमारी स्थिति बेहतर हैं पर फिर भी 30-35 हज़ार का आंकड़ा भी कम नहीं हैं । हालात बाहर नाजुक हैं और घर में बेपरवाह । देखते ही देखते 43 दिन हो गए यकीन ही नहीं आता की कैसे ये दिन निकले हैं । अब तो आलम कुछ ऐसा हो गया है कि अब मनोरंजन की चीजों में भी मन लगना बंद हो गया है, दिन से रात, रात से कब दिन हो जाता पता नहीं चलता, कौन सा दिन रविवार हैं तो कौन सा दिन शनिवार ये भी पता नहीं चलता । दिन की कुछ ऐसी गतिविधियां हैं जिनका समय तक अब याद रहने लगा हैं, जैसे कि घर में ठीक कितने बजे कूलर चालू होगा, नल के आने और जाने का एकदम मिनट मिनट का फर्क, शाम के ठीक 6:28 बजे स्ट्रीट लाइटें जलने के समय तक याद रहने लगा हैं । न जाने आने वाला समय और क्या क्या महसूस करायेगा, ये तो वक्त ही बताएगा । अब जब मेरी इस डायरी के लिए सुनिश्चित दिन अर्थात लॉक डाउन वर्ज़न 2 भी आज ख़तम होता है । जब मैंने ये शुरू किया था तब सोंचा था कि जिस दिन लॉक डाउन ख़तम होगा उसी दिन ही मेरी इस डायरी लेखन का भी अंत हो जाएगा लेकिन मुझे क्या पता था कि ये 15 अप्रैल तक नहीं 3 मई तक चला जाएगा और अब 17 मई तक । मेरे मन में इस डायरी लेखन को लिखने की एक ही वजह थी कि जब आगे चलकर इसे मैं या कोई और इसे पढ़े तो उसे आज के समय का अंदाज़ लग पाएगा । कैसे ये मुश्किल का वक्त लोगो के लिए गुज़रा, खुद मैंने अपनी व्यवारिक जीवन में क्या महसूस किया, ये सब आदि। मेरे लिए अब भी मुश्किल यही हैं कि इसे जारी रखूं या बंद कर दूं, । अभी भी मेरे लिए रोज लिख पाना कठिन हो जाता है कि क्या लिखूं और क्या न लिखूं, फिर भी पापड़ से लेकर मन कि बात तक, सब कुछ जो लिख सकता था वो वैने लिखने की कोशिश जरूर की हैं । फिर भी अगर आप इसे रोज पढ़ रहे होंगे तब आपने पाया होगा की अब मैं भी 2-2 दिन के अंतराल में इसे पोस्ट करता हूं । अब आपके मन में एक ही बात होगी कि क्या ये डायरी लेखन आगे भी जारी रहेगा या नहीं - तो इसका जवाब आपको कल ही मिल पाएगा कि ये जारी रह पाएगा या नहीं ।
जब मैं अभी इसे लिख ही रहा था तब ही एक और बुरी खबर सामने आ गई, कल से हमारे जिले में स्थिति थोड़ी सामान्य होने ही वाली थी कि खबर आ गई की हमारे प्रदेश में 14 नए संक्रमित व्यक्तियों की पहचान हो पाई हैं, शायद ये वो लोग हैं जो हाल ही में दूसरे प्रदेशों से लाए गए हैं । और इसमें हमारे दुर्ग जिले के 8 लोग हैं । अभी तक हमारा जिला ग्रीन जोन था अब शायद रेड जोन कर दिया जाए । पता नहीं दिन कब एकदम पहले से होंगे , बस हर रोज यही उम्मीद होती है कि कल का दिन बेहतर हो ।
एक अच्छी मनोकामना के साथ अपने इस वाले डायरी को भी मैं अंत करता है ।

और अभी तक कोरोना के मामले

देश में
कुल मामले - 42505
एक्टिव मामले - 29335
ठीक हुए लोगो की संख्या - 11775
मृत्य - 139

प्रदेश में
कुल मामले - 57
एक्टिव मामले - 21
ठीक हुए लोगो की संख्या - 36

स्रोत - https://www.covid19india.org/


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