चिड़ा
एक सामान्य दोपहर
की तरह वही चिलचिलाती धूप, शांत भाव से बहता पानी और वो गरम हवा
के झोकें, लेकिन
आज समुद्र कुछ अलग सा था, थोड़ी ज्यादा अँगड़ाई ले रहा था मानो
किसी को मिलने को बेताब हो । कहते हैं की अपने ही खुशियों मे अपने हीं शरीक होते
हैं, शायद प्रकृति भी कुछ ऐसा ही कर रही हों । वही दूसरी और
तट से लगे नारियल के वृक्ष मे थोड़ी आज
हलचल
सी मची थी , चूंकि आज अंडो से बच्चे
निकलने वाले हैं ।
नारियल के वृक्ष पर दो सफेद पंछी रहा करते थे । दोनो पंछी काफी खुश रहा करते थे बस जीवन मे कमी
एक बच्चे की थी और अंततः आज वो दिन आ ही गया जब अंडे से बच्चे निकले
।
थोड़ी देर बाद अंडे में कुछ हलचल हुई , अंडा लहराने लगा और एक टूक समय पश्चात बच्चे ने अंडे को फोड़ कर
उसमें से अपना पाँव निकाला और धीरे से बाहर आ गया . . .नन्हे
से छोटी चिड़िया को देख माँ चिड़िया बड़ी खुश हुई , उसे
अपने चोंच और पांव से पुचकार कर रही थी तभी उसकी नज़र बच्चे के पंखों पर पड़ी वो शायद
सही से बने नही थे, लेकिन
अभी नवजात है और बड़े होने के साथ इसके पंख भी बाद
जाएंगे ऐसा सोच कर अनदेखा कर दिया ।
नन्ही चिड़िया बड़ी होती गयी, अब वो
घोंसले से बाहर निकलने लायक हो गयी थी । माँ
चिड़िया
ने उसे उड़ने के लिए घोसले से नीचे उतारा । और उसे उड़ने के
बारे मे बताने लगीं , नन्ही चिड़िया सब कुछ अच्छे से देख कर
बड़ी खुश हो रही थी । जब उसकी बारी आई तो, एक दबी हुई सांस के साथ पूरे जोश से उसने उड़ने के लिए एक छलांग लगाई. . . . .
. लेकिन अगले पल ही वह गिर पड़ी, माँ ने हंस कर दोबारा
प्रयत्न करने को कहा, लेकिन अगले ही पल वह भी नाकामयाब रही, धीरे धीरे माँ की खुशी की लहर माथे के शिकंज मे बदलने लगी, नन्ही चिड़िया के बार-बार प्रयास और हर बार असफलता,
देखकर माँ चिड़ियाँ को समझने मे देर न लगी की, ये सब नन्ही
चिड़िया के आधे पंखो के कारण हो रहा । नन्ही चिड़िया के
पंख समय के साथ विकसित नहीं हो पाये जिसके कारण वह उड़ नहीं पा रही थी ।
लाख कोशिश के बाद भी नन्ही चिड़िया चंद फुट उड़ पाती , उसके
छोटे-छोटे फड़फड़ाते पंख उसे
उड़ने के लिए पर्याप्त हवा नहीं दे पा रहे थे, जिससे वह अपने शरीर का भार सह सके, बार-बार गिरने के बावजूद भी नन्ही चिड़िया फिर मुस्कुराकर दोबारा
कोशिश करती, उसकी
ऐसे दुर्दशा देख माँ -चिड़िया चिंतित
हो रही थी , वो जानती थी एक पंछी के लिए उड़ना बहुत
ज्यादा जरूरी होता हैं खाने-पीने, अपनी रक्षा करने और न जाने बहुत से कामो के लिए पंख बहुत जरूरी हैं और उसके न उड़ने के वजह से
वो जल्द ही किसी भी शिकारी के हाथ लग सकती हैं, ऐसी बातें सोचकर माँ
चिड़ियाँ भयभीत होने लगी लेकिन इन सब बातचीत से मासूम
नन्ही चिड़ियाँ मस्ती के धुन में थी उसे शायद इस बात का कोई
फ़र्क़
नहीं पड़ता था ।
बाकी दूसरे भी पक्षियों ने आकर भी नन्ही चिड़िया
को उड़ने में मदद की लेकिन किसी को भी सफलता नही मिल रही थी, लेकिन
इन सब बातों से अलग नन्ही चिड़िया बहुत खुश थी शायद उसे इस बात की कोई परवाह नही थी कि वह उड़
नही सकती ।
उसके
लिए रोज खेल जैसा था, अलग अलग पंछी आते और कोशिश
करते, शायद
नन्ही चिड़िया जान चुकी थी कि वो शायद उड़ नहीं पाये लेकिन मजाल हो किसी
के हौसले को वो कम करें हज़ार बार भले ही वो गिरी होगी लेकिन
मुस्कुरा के दोबारा प्रयास किया हैं उसने ।
नन्ही चिड़िया की माँ ने उसे सिखाना बंद कर दिया, भले
ही वो इस बात से हमेशा उदास रहती लेकिन नन्ही चिड़िया के
पंख को माँ ने कभी "अक्षमता" और उसकी "कमजोरी" नही समझा
। बस वह उसे देख कर वह खुश हो जाती थी ।
दिन बीतने लगे, मासूमियत कम होती गयी और हसी ठिठोलियों मे दिन
गुजरने लगा तभी अचानक. .
.
एक दिन बहुत ऊंचे-ऊंचे ज्वार उड़ने लगे, सभी किनारे पे बसे पंछियों को
अपने आसरे की फिक्र होने लगी नन्ही चिड़ियाँ की माँ भी चिंतित थी, जब
तक कोई ठोस कदम उठा पाते एक बड़े से लहर ने किनारे का बड़ा हिस्सा तबाह कर दिया बहुत
से पेड़ टूटे बहुत से पंछी और जीव जंतु पानी के साथ वापस बह
चले गए लेकिन इन सब मे हमारी
नन्ही चिड़िया ने अपने आप को बचा लिया न ही वो खुद बल्कि
बहुत
से पंछियों को भी बचा लिया, उढते लहर के साथ ही नन्ही
चिड़िया ने जमीन में ही घुस कर, जमीन में जम कर अपने आप को बचा लिया जिससे वह मिट्टी के
साथ चिपकी रही और लहर के साथ वापस न जा सकी । उसके ऐसे कारनामे को उसके
साथ-साथ बाकी
और बहुत से पंछियों ने किया जिससे वे सब बच गए ।
इस नज़ारे के बाद नन्हे चिड़िया की माँ
के साथ साथ सभी पंछियों को भरोसा हो गया कि भले ही नन्ही चिड़िया
उड़ न सके लेकिन वो विकट परिस्थितियों
में वह अपने आप को बचा सकती हैं ।
नन्हे चिड़िया को तो शायद अपनी उपयोगिता साबित करने के लिए लहरों ने मदद की हों
लेकिन शायद आपको न मिले, कहीं न कही उस नन्ही चिड़िया को अपने आप पर भरोसा था कि भले
उड़े न उड़े वो कुछ बेहतर तो कर सकती हैं ।
हमारे जीवन
मे ये बात भी बहुत ज्यादा मायने रखती ही की हमे अपने आप पर भरोसा करते हैं की नहीं, कभी-कभी हम अपनी क्षमता
जानने के बावजूद हम उसे गलत आँकते हैं । कोशिश कीजिये की अपने आप को मौका दे और
समझे की आप क्या काबिलियत रखते हैं ।
एक और बात
जो इस कहानी से उभरती हैं की कहीं न कहीं नन्ही चिड़िया की तरह हमरे आस-पास भी ऐसे
बहुत से लोग होते हैं जो प्रतिभावान तो होते हैं, लेकिन हम उसे सामान्य
बनाने की दौड़ मे पीछे कर देते हैं, उन पर अपनी इच्छाओं को रखकर उसे
बदलने की कोशिश करते हैं, उन्हे बाकी लोगों जैसा बनाने की कोशिश करते हैं । जबकि वे, वैसे ही अच्छा कर सकते हैं, जैसे की वे हैं ।
तों कोशिश कारिये की उन्हे न बदलने का, वे
जैसे हैं उन्हे वैसे रहने देने का, और सबसे
महत्वपूर्ण की कोशिश कीजिये की उनकी उपलब्धियों मे सहभागिता देने का, उनकी
सफलता मे अपने आप को देखने का ।
धन्यवाद, आपने अपना कीमती समय इस ब्लॉग को दिया ।
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प्रेम
नारायण साहू
( ज़िंदगी Unplugged के लेखक )
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