याद आते है पल सुहाने

बहुत याद आते है वो पल सुहाने माँ....

तुम्हारा सपाट कर कंघी करना, और मेरा इतराना...😉

हाथ पकड़ कर स्कूल ले जाना ,मेरा इठालते हुए जाना

और लौठते वक़्त बाम्बी खिलाना....

 

बचपन की कुछ मीठी सी यादे है....तो बड़कपन की कुछ खट्टी....

तुम भागी थी मुझे खाना खिलाने के लिए, मैं दौड़ा था तुम्हे सताने के लिए

तुम डाटी थी मुझे सुधारने के लिए, मैं रोता था तुम्हारे मनाने के लिए . . .  माँ

 

चोट लगी थी तब भी तुम याद आयी, बीमार था तब भी . . .

पापा की डाट से भी तुमने बचाया था,

टीचर के मार को तुमने ही सहलाया था ।

छोटी गलतियों को सुधारा था तुम ने,

बड़ी गलतियों से बचाया है तुम ने . . .  माँ

 

अँधेरी रातो की उड़ती हुई नींदों में, कहानी सुना कर सुलाया था तुमने . . . 

खाये थे बड़ी खीर पकोड़े तेरे हाथ से , तुमने बनाये तो थे भी बड़े चाव से . . .  माँ

चुप चाप सुन लेती हो, तुम भी मेरी बेकार सी बातें

तुमसे रूठ कर तो दिन मेरा भी दिन नहीं जाता . . .  माँ

 

याद आती है बचपन की बातें,

ज्यादा कुछ बदला नहीं है आज और कल में...

आज भी तेरे डांट से ही दिन शुरू और लाड़ पे दिन खत्म होती हैं . . .

भले आज तुझसे दूर होंगें बहुत लेकिन तुझसे एक पल की दूरी भी खटकती है . . .  माँ

 

ना जाने कैसे रिश्ते के भाव से ये

दुनिया के सारे सुख तेरे सामने फीके पड़ते नजर आते हैं . . .  माँ

सबकुछ कितना मनभावना है माँ

सबकुछ तुम्ही से शुरू और तुम्ही पर ही खत्म....

बहुत याद आते है वो पल सुहाने माँ....

बहुत याद आते है वो पल सुहाने माँ....


धन्यवाद माँ , उन सभी चीजों के लिए जो तुमने मेरे लिए किया है...

प्रेम नारायण साहू

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