मन की बात #2 - एक मोह- शांति के लिए
थकान भरी होली के बाद, मैं लगा था अपने
फेसबुक पर मंद हाथो के साथ तेज़ी से उन सारे पोस्ट को स्क्रोल कर रहा था जिसमे लाल-पीले
होली से सने चेहरे नज़र आ रहे थे । अजीब बात हैं ना, लोग अपनी
नॉर्मल सी तस्वीर को तो फ़िल्टर और एडिटर लगा के डालते हैं वहीं होली की आड़ी-तिरझी तस्वीरों
को बेझिझक पोस्ट करे देते हैं। मैं भी बस लाइक का बटन किसी रोबोट की तरह दबा रहा था
देखे बिना, तभी अचानक एक विडियो आया और शायद हाथ रुके ही थे की
कुछ सेकंड के एक क्षण मे कुछ ऐसा देख लिया की, उस पोस्ट को, उस विडियो को देखे बिना मैं आगे न बढ़ सका –
कल हम सब रंगे थे रंग और गुलाल मे,
कई मीलों दूर और भी कोई रंगा था मलबों की धूल और खून के
रंग में
हम भी खेल रहे थे होली, वो भी खेल रहे
थे होली
फर्क बस इतना सा था, हम रंग से खेल
रहे थे वो ज़िंदगी से खेल रहे थे
हम बना रहे थे थोड़ा माहोल
वो मांग रहे थे, एक शांति का माहोल
वो एक तरफ खुशी से मुस्कुराते चेहरे,
दूसरी तरफ दर्द बयां करते रोते-बिलखते चेहरे
ना जाने ये कैसी रंज हैं, किस बात की जंग हैं
आखिर क्या बिगाड़ा हैं उस मासूम से चेहरो ने. . . .
छूटे हजारों के घर-बार, खोया किसी ने
माँ-बाप, भाई बहन
इस बेहराम दुनिया को मोह भी अजीब हैं
दुनिया लगी हैं अपनी मौज मे
वो लगे हैं अपने मोह की तलाश में –
एक मोह - शांति के लिए
एक मोह - खुशी के लिए, जहां दुख, तकलीफ और दर्द के लिए जगह न हों
एक मोह - चैन की ज़िंदगी के लिए
एक मोह - बेखोफ़
रातों के लिए
एक मोह - किसी अपने को न खोने की
एक मोह - सीरिया को बाकी देश जैसा शांत वातावरण बनाना
।
पिछले 5 दिन के अंदर, सीरिया में 400
से भी ज्यादा लोग ghouta (सीरिया) में मार दिये गये । पिछले 7
साल मे, 5 लाख से ज्यादा सीरिया के रहने वाले की मौत हो गयी, जिसमे 90,000 से ज्यादा बच्चे थे । करोड़ों बेघर हो गए, हजारों बच्चे अनाथ हो गये । दुख की बात ये हैं की सब-कुछ जानकर भी हम कुछ
नहीं कर सकते । और उससे भी बुरा यह हैं की जो इसे रोक सकते हैं वो इसे रोकना नहीं चाहते
हैं ।
ऐसे मे हमें ही आगे आना होगा, और आवाज़ को ही जरिया बनाकर आगे बढ़ाना होगा । कम से कम जो हम कर सकते हैं वो
तो हम करेंगे । ज्यादा से ज्यादा लोग को ऐसे पोस्ट शेयर करें । और ज्यादा से ज्यादा
लोगो को ध्यान इस बात की तरफ आकर्षित करने कोशिश करें ।
एक कदम मानवता के लिए
एक पोस्ट सीरिया वासियों के लिए ।
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